Ahmedabad: 12 जून 2025 को भारत ने एक भयावह हवाई दुर्घटना का सामना किया, जिसे वर्षों तक नहीं भुलाया जा सकेगा। अहमदाबाद से लंदन जा रही एयर इंडिया की फ्लाइट AI-171 उड़ान भरने के कुछ ही मिनटों बाद दुर्घटनाग्रस्त हो गई थी। यह विमान बोइंग-787 ड्रीमलाइनर था, जो अहमदाबाद एयरपोर्ट से टेकऑफ के बाद रफ्तार खो बैठा और शहर के मेघानीनगर क्षेत्र में एक मेडिकल कॉलेज के छात्रावास में जा टकराया। इस हादसे में विमान में सवार 242 लोगों में से 241 की मौत हो गई, जबकि ज़मीन पर 19 से अधिक लोगों की जान चली गई। इस हादसे के बाद पीड़ितों के परिजनों की ओर से बीमा कंपनियों को भारी संख्या में दावे भेजे जा रहे हैं। इनमें यात्रा रद्द होने, होटल बुकिंग कैंसिलेशन, सामान गुम होने और सबसे अधिक आकस्मिक मृत्यु कवरेज से जुड़े दावे शामिल हैं।
बीमा कंपनियों के सामने चुनौतियाँ
ICICI Lombard की हेल्थ प्रोडक्ट्स एंड सर्विसेज प्रमुख प्रिया देशमुख के अनुसार, “हमें अब तक ट्रैवल इंश्योरेंस और पर्सनल एक्सिडेंट कवर के तहत सैकड़ों दावे प्राप्त हुए हैं। हमारा पूरा ध्यान समय पर निपटान और पीड़ित परिवारों को हरसंभव सहायता देने पर है।”
बजाज आलियांज जनरल इंश्योरेंस ने भी व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा के तहत तीन और समुद्री माल बीमा (Marine Cargo Insurance) के तहत एक दावा प्राप्त होने की पुष्टि की है। मरीन कार्गो बीमा सड़क, रेल, हवाई या समुद्री मार्ग से यात्रा कर रहे माल पर लागू होता है।
वहीं, न्यू इंडिया एश्योरेंस ने अब तक व्यक्तिगत दुर्घटनाओं से जुड़े सात और ग्रुप पर्सनल एक्सिडेंट कवर के पांच दावों का निपटान कर लिया है। किसान क्रेडिट कार्ड योजना के तहत भी एक मामला सामने आया है, जिसमें 50,000 रुपये के बीमा दावे को स्वीकार किया गया है।
IRDAI की सक्रियता
इस हादसे के तुरंत बाद भारतीय बीमा नियामक और विकास प्राधिकरण (IRDAI) ने सभी बीमा कंपनियों को निर्देशित किया कि वे संबंधित दावों का त्वरित निपटान सुनिश्चित करें। 14 जून को जारी सर्कुलर में IRDAI ने कहा कि 16 जून से सभी बीमा कंपनियां अपने दावों की साप्ताहिक रिपोर्ट साझा करें। Axis Max Life Insurance के सीओओ मनु लावण्या ने बताया कि उनकी कंपनी ने ‘इंस्टा क्लेम’ प्रक्रिया के तहत महज तीन घंटे में एक दावे का निपटान कर एक मिसाल कायम की है।
जांच और पीड़ित परिवारों की उम्मीद
इस भीषण हादसे की जांच अभी भी चल रही है और हर बीमा कंपनी पर त्वरित, पारदर्शी और मानवीय दृष्टिकोण से दावों के निपटान का दबाव है। पीड़ितों के परिजन भी उम्मीद कर रहे हैं कि बीमा राशि का समय पर भुगतान उनकी आर्थिक और भावनात्मक स्थिति को कुछ हद तक संबल प्रदान करेगा। यह हादसा न केवल भारतीय विमानन इतिहास का एक काला अध्याय है, बल्कि बीमा क्षेत्र के लिए भी एक बड़ी परीक्षा है—जिसमें जवाबदेही, संवेदनशीलता और कार्यकुशलता की असली परीक्षा हो रही है।