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UP News: 22 साल बाद एक चमत्कार! जानिए कैसे साइकिल मैकेनिक के बेटे ने कैसे किया कमाल

रायबरेली का राजकीय इंटर कॉलेज (GIC) इस वक्त गर्व से झूम रहा है। वजह है 22 साल बाद कॉलेज के एक छात्र ने जिले की टॉप-10 सूची में जगह बनाई है।
Post Published By: Subhash Raturi
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UP News: 22 साल बाद एक चमत्कार! जानिए कैसे साइकिल मैकेनिक के बेटे ने कैसे किया कमाल

Raebareli News: रायबरेली का राजकीय इंटर कॉलेज (GIC) इस वक्त गर्व से झूम रहा है। वजह है—22 साल बाद कॉलेज के एक छात्र ने जिले की टॉप-10 सूची में जगह बनाई है। खास बात यह है कि यह कमाल किसी बड़े परिवार या पढ़ाई के लिए महंगी कोचिंग लेने वाले छात्र ने नहीं, बल्कि एक साइकिल मैकेनिक के बेटे ने कर दिखाया है।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के मुताबिक, रुस्तमपुर निवासी सुरेश पाल, जो वर्तमान में GIC रायबरेली में कक्षा 11वीं का छात्र है, उसने वर्ष 2024-25 की हाईस्कूल परीक्षा में 94.17% अंक (565/600) प्राप्त कर जिले में नवम स्थान हासिल किया है। यह उपलब्धि न केवल उनके परिवार, बल्कि पूरे विद्यालय और जिले के लिए गर्व का विषय बन गई है।

22 साल बाद टूटी चुप्पी

GIC रायबरेली में इससे पहले वर्ष 2003 में सरोजिनी समर्थी नाम की छात्रा ने 12वीं कक्षा में जिले की टॉप-10 सूची में स्थान प्राप्त किया था। उसके बाद पूरे 22 वर्षों तक यह विद्यालय शांति में डूबा रहा—लेकिन अब सुरेश ने इस लंबी खामोशी को तोड़ते हुए इतिहास रच दिया है।

सम्मान और सराहना

सुरेश की इस उपलब्धि पर जिलाधिकारी हर्षिता माथुर ने स्वयं उन्हें सम्मानित किया। कलेक्ट्रेट परिसर में आयोजित समारोह में उन्हें टैबलेट और प्रशस्ति पत्र भेंट कर सम्मानित किया गया। इस अवसर पर जिला विद्यालय निरीक्षक संजीव कुमार सिंह, GIC के प्रधानाचार्य रत्नेश श्रीवास्तव, सुरेश के पिता गंगाराम और अन्य शिक्षक भी मौजूद रहे।

संघर्ष से सफलता तक

सुरेश ने मीडिया से बातचीत में कहा, “मेरे पिता एक साइकिल मरम्मत का कार्य करते हैं। सीमित संसाधनों के बावजूद उन्होंने मुझे कभी पढ़ाई से दूर नहीं होने दिया। यह सफलता मेरे माता-पिता और गुरुजनों के आशीर्वाद का परिणाम है। मेरा अगला लक्ष्य सिविल सेवा की परीक्षा पास करना है।”

विद्यालय में आया बदलाव

विद्यालय के प्रधानाचार्य रत्नेश श्रीवास्तव ने कहा कि सुरेश की सफलता एक प्रेरणा है। उन्होंने बताया, “हमारे विद्यालय में अब पठन-पाठन की व्यवस्था में सुधार हुआ है। शिक्षकों और छात्रों दोनों ने मेहनत की है, और यह उसी का परिणाम है। हमें पूरा विश्वास है कि आने वाले वर्षों में हमारे विद्यालय के और भी छात्र इसी तरह जिला और प्रदेश स्तर पर नाम रोशन करेंगे।”

एक उम्मीद, एक शुरुआत

राजकीय विद्यालयों को लेकर अक्सर यह धारणा बनी रहती है कि वहां गुणवत्ता कमजोर होती है, लेकिन सुरेश पाल जैसे छात्रों ने इस सोच को बदलने की पहल कर दी है। यह कहानी सिर्फ अंकों की नहीं, बल्कि सपनों, संघर्ष और समर्पण की है। और यह बताने के लिए काफी है कि परिस्थितियां चाहे कैसी भी हों, अगर इरादे मजबूत हों, तो कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं। GIC रायबरेली का यह नया सितारा आने वाले वर्षों में न केवल खुद का, बल्कि पूरे जिले का नाम ऊँचा करने के लिए तैयार है।

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