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एक नई आशा द्वारा गोरखपुर में भव्य “हास्य कवि सम्मेलन का आयोजन“

कवि सम्मेलन के अवसर पर शहर के के साहित्यप्रेमियों की बड़ी संख्या में उपस्थिति रही। यह कवि सम्मेलन हँसी और काव्य रस से सरोबार रहा। कवियों की प्रस्तुतियों ने श्रोताओं को देर रात तक बाँधे रखा।मंच पर प्रस्तुत कविताओं में कहीं व्यंग्य की तीखी चोट थी, तो कहीं समाज को झकझोरने वाला संदेश।
Post Published By: Rohit Goyal
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एक नई आशा द्वारा गोरखपुर में भव्य “हास्य कवि सम्मेलन का आयोजन“

Gorakhpur: गोरखपुर में एक नई आशा द्वारा सिविल लाइंस स्थित नेपाल लॉज में भव्य हास्य कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ अपर पुलिस महानिदेशक “  मुथा अशोक जैन IPS” द्वारा दीप प्रज्वलन के साथ किया गया।

सम्पूर्ण देश में ख्याति प्राप्त कवि राजेश चेतन, सरदार फौजदार, बुद्धि प्रकाश दाधीच, पद्मिनी शर्मा, महेश दुबे, योगेन्द्र शर्मा इत्यादि ने अपने शब्दों के जादू से साहित्य प्रेमियों का मनोरंजन करने के लिए उपस्थित रहे।

संस्थापक आशीष छापड़िया एवं अध्यक्ष अनुप बंका ने सभी कवियों का स्वागत किया। सीमा छापड़िया ने गुरु पूजा और अर्चना की। संस्था द्वारा आयोजित कवि सम्मेलन हास-परिहास और काव्य की उत्कृष्ट प्रस्तुतियों के साथ सफलतापूर्वक सम्पन्न हुआ।

इस अवसर पर शहर के के साहित्यप्रेमियों की बड़ी संख्या में उपस्थिति रही। यह कवि सम्मेलन हँसी और काव्य रस से सरोबार रहा। कवियों की प्रस्तुतियों ने श्रोताओं को देर रात तक बाँधे रखा।मंच पर प्रस्तुत कविताओं में कहीं व्यंग्य की तीखी चोट थी, तो कहीं समाज को झकझोरने वाला संदेश।

प्रताप फौजदार ने कहा- “कहता है धीरे – धीरे मेरा सूरज डूब रहा है ? मेरा सूरज तो स्थिर है, तेरी धरती घूम रही है ।
प्यार सदा झुक कर मिलता है और अकड़ से नफ़रत मिलती,
देख वहा पे, गगन झुका है धरती उसको चूम रही है।”

बुद्धि प्रकाश दाधीच के शब्दों
गुलोगुलशन से महकते जहान देखे हैं,
हमने मुश्किल में सिकन्दर महान देखे हैं।
भूलकर नाज न करना उधारी किस्मत पे,
हमने बारिश में भी जलते मकान देखे हैं ने सभी का ध्यान आकर्षित किया ।

हास्य कवियों की प्रस्तुतियों पर दर्शकों ने ठहाकों और तालियों की गड़गड़ाहट से स्वागत किया।

सम्मेलन में आमंत्रित प्रख्यात कवि एवं कवयित्रियों ने अपनी रचनाओं के माध्यम से श्रोताओं को हास्य, व्यंग्य और भावनाओं की अद्भुत दुनिया में पहुँचा दिया। मंच पर प्रस्तुत कविताओं ने न केवल श्रोताओं को ठहाकों से सरोबार किया बल्कि विचारोत्तेजक संदेश भी दिया ।
पद्मिनी शर्मा के “माँ भारती के चेहरे का हो नूर सलामत
रखना इसे भगवान तू भरपूर सलामत
हम भारतीय नारी हमे है गुमान कि
ले आती हैं यमराज से सिंदूर सलामत”
ने श्रोताओं को भावनात्मक सागर में डुबो दिया।

महेश दुबे ने कहा “अंधेरा बोल देता है कि बाकी रात कितनी है, बिछी शतरंज की बाजी में शह और मात कितनी है ।
तेरे कपड़े, तेरे जेवर बताते हैं तेरा रुतबा, तेरी बोली बताती है तेरी औकात कितनी है ।”

पदाधिकारियों ने आए हुए सभी अतिथियों, कवियों और श्रोताओं का हृदय से आभार व्यक्त किया और आगे भी ऐसे साहित्यिक आयोजनों को निरंतर जारी रखने का संकल्प लिया। संचालन अरविंद अग्रवाल एवं क्विंटन भी अग्रवाल ने किया सचिव रोहित रामरायका ने सभी का धन्यवाद किया।

सम्मेलन के दौरान शिवम् बथवाल, संतोष जालान, राहुल खेतान, सुनैना बंका, रुचि लीला रिया, गौरव लीलारिया, स्वाति अग्रवाल, कनक हरी अग्रवाल, मनोज बंका, मनीष केडिया, मुकुल जालान, मोना जालान, राजेश छाप ढ़िया, कविता रामरायका इत्यादि की सक्रिय सहभागिता रही।

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