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क्या है ऑनलाइन ‘माइक्रो’ फिल्म महोत्सव? जानिये इससे कैसे मिलेगी उभरते फिल्मकारों को मदद

अपनी तरह के एक अनोखे फिल्म महोत्सव के आयोजन के लिये एक पहल की जा रही है जिसके तहत उभरते हुए फिल्मकारों द्वारा उनकी चुनी हुई भाषा में भेजी गई पांच मिनट की ‘माइक्रो’ फिल्म की अंग्रेजी उपशीर्षक के साथ इंटरनेट पर स्ट्रीमिंग की जाएगी। पढ़िये पूरी खबर डाइनामाइट न्यूज़ पर
Post Published By: डीएन ब्यूरो
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क्या है ऑनलाइन ‘माइक्रो’ फिल्म महोत्सव? जानिये इससे कैसे मिलेगी उभरते फिल्मकारों को मदद

कोलकाता: अपनी तरह के एक अनोखे फिल्म महोत्सव के आयोजन के लिये एक पहल की जा रही है जिसके तहत उभरते हुए फिल्मकारों द्वारा उनकी चुनी हुई भाषा में भेजी गई पांच मिनट की ‘माइक्रो’ फिल्म की अंग्रेजी उपशीर्षक के साथ इंटरनेट पर स्ट्रीमिंग की जाएगी।

‘स्ट्रीमिंग’ एक ऐसी प्रौद्योगिकी है जिसकी मदद से आप किसी भी वीडियो या ऑडियो सामग्री को अपने स्मार्टफोन या कंप्यूटर पर बिना उसे डाउनलोड किये इंटरनेट के माध्यम से देख सकते हैं।

साहित्य अकादमी पुरस्कार विजेता कवि सुबोध सरकार ने भी एक फिल्म निर्माता के तौर पर अपनी पहली कोशिश के रूप में एक प्रविष्टि महोत्सव में भेजने के लिए सहमति व्यक्त की है। यहां फिल्म की अवधि पांच मिनट से अधिक लंबी नहीं हो सकती है।

कार्यक्रम निदेशक अनिमेश गोस्वामी ने डाइनामाइट न्यूज़ को बताया, “तूरी फिल्म महोत्सव से फिल्मकारों- उभरते, चर्चित या जिनको पूर्व में थोड़ा बहुत अनुभव है- को प्रोत्साहन मिलेगा कि वे ऐसी छोटी फिल्में बनाएं जो आकर्षक हों, दर्शकों को बांधे रखें और शुरू से ही प्रभावी दृश्यों वाली हों।”

उन्होंने कहा कि अगर लोगों द्वारा इंस्टाग्राम रील्स व्यापक रूप से प्रसारित हो सकती हैं, तो उत्साही लोग पांच मिनट की फिल्में अधिक कुशलता से बना सकते हैं। उन्होंने कहा कि इन दिनों दर्शकों का ध्यानाकर्षण करने की समय सीमा कम हो रही है।

आयोजकों की वेबसाइट तूरीफिल्म डॉट कॉम दावा करती है कि यह एक “माइक्रो फिल्म महोत्सव है जो फिल्म निर्माण और उसके द्वारा दिए जाने वाले संदेश पर समान रूप से ध्यान देता है।”

फिल्म किसी भी भाषा में बनाई जा सकती है लेकिन उसमें अंग्रेजी उपशीर्षक होना चाहिए।

कोई भी किसी भी विषय के साथ एक फिल्म भेज सकता है, लेकिन वेबसाइट का कहना है कि कॉर्पोरेट प्रायोजन की संभावना बढ़ सकती है अगर फिल्में 13 विषयों पर हों, जिनमें (बे)रोजगार, माता-पिता का अलगाव, वित्तीय स्वतंत्रता, ग्रामीण महिलाएं – चिंता और खुशियां, बाल श्रम और सोशल मीडिया शामिल हैं।

पूर्व में आईटी क्षेत्र से जुड़े रहे गोस्वामी ने कहा कि प्रविष्टियां 15 अप्रैल से जमा की जा सकेंगी और इन्हें भेजने की अंतिम तारीख 15 जून होगी। उन्होंने कहा, “हमें इस अवधि में सैकड़ों प्रविष्टियां मिलने की उम्मीद है।”

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