महज करार का उल्लंघन धोखाधड़ी के आपराधिक मुकदमे का कारण नहीं बन सकता

नयी दिल्ली, छह मार्च (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि केवल करार का उल्लंघन ही धोखाधड़ी के आपराधिक मुकदमे का कारण नहीं बन सकता है और इसके लिए मामले में शुरू से ही गलत मंशा को साबित किया जाना आवश्यक होता है। पढ़ें पूरी रिपोर्ट डाइनामाइट न्यूज़ पर

Post Published By: डीएन ब्यूरो
Updated : 6 March 2023, 6:19 PM IST

नयी दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि केवल करार का उल्लंघन ही धोखाधड़ी के आपराधिक मुकदमे का कारण नहीं बन सकता है और इसके लिए मामले में शुरू से ही गलत मंशा को साबित किया जाना आवश्यक होता है।

न्यायमूर्ति अभय एस. ओका और न्यायमूर्ति राजेश बिंदल की पीठ ने कहा कि वादा पूरा करने में विफलता का आरोप ही आपराधिक कार्यवाही शुरू करने के लिए पर्याप्त नहीं होगा।

पीठ ने कहा, ‘‘केवल करार का उल्लंघन धोखाधड़ी के आपराधिक मुकदमे की वजह नहीं बन सकता, जब तक कि इसकी शुरुआत में ही धोखाधड़ी या बेइमानी साबित नहीं हो जाता। महज वादा पूरा करने में विफलता को आपराधिक कार्यवाही शुरू करने के लिए पर्याप्त कारण नहीं होगा।’’

शीर्ष अदालत ने पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के उस आदेश को खारिज करते हुए यह टिप्पणी की, जिसमें भूमि बिक्री से संबंधित मामले में एक व्यक्ति के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 420 (धोखाधड़ी), 120बी (आपराधिक षड्यंत्र) और 506 (आपराधिक धमकी) के तहत दायर प्राथमिकी निरस्त करने से इनकार कर दिया गया था।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार शीर्ष अदालत उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली सरबजीत कौर की अपील की सुनवाई कर रही थी।

शीर्ष अदालत ने कहा कि पूरा मामला एक दीवानी विवाद को आपराधिक विवाद में तब्दील करने और कथित रूप से भुगतान की गई राशि को वापस करने के लिए अपीलकर्ता पर दबाव डालने के लिए शुरू किया गया लग रहा है।

न्यायालय ने कहा, 'आपराधिक अदालतों का इस्तेमाल बदला निकालने या दीवानी विवादों को निपटाने के लिए पक्षकारों पर दबाव बनाने के लिए नहीं किया जाता है। जहां भी आपराधिक मामलों के कारक मौजूद होते हैं, आपराधिक अदालतों को संज्ञान लेना पड़ता है।'

इसके साथ ही शीर्ष अदालत ने उच्च न्यायालय का निर्णय खारिज कर दिया।

Published : 
  • 6 March 2023, 6:19 PM IST

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