लखनऊ की ऐतिहासिक इमारत छतर मंजिल में खुदाई के दौरान मिली 220 साल पुरानी नाव

राजधानी लखनऊ नवाबों और गंगा-जमुना तहजीबो का शहर जो अपनी विरासत और धरोहर के लिए हमेशा जाना जाता है। आज एक बार फिर  नवाबों की शान बढ़ाने वाला लखनऊ की विरासत को चार चांद लगा देने वाला दिल से देखने को मिला है। लखनऊ के हजरतगंज क्षेत्र में स्थित छतर मंजिल में खुदाई के दौरान पुरातत्व विभाग को लगभग 220 साल पुरानी नवाबों की गंडोला नाव मिली है।

Post Published By: डीएन ब्यूरो
Updated : 10 May 2019, 7:19 PM IST

लखनऊ। उत्तर प्रदेश राज्य पुरातत्व विभाग के अधिकारियों ने शहर की लगभग 220 साल पुरानी छतर मंजिल में खुदाई के दौरान 50 फुट लंबी और 12 फुट चौड़ी एक नाव को खोज निकाली है। माना जा रहा है कि यह विशालकाय नाव अवध की बेगमों के लिए इस्तेमाल होती थी।

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पुरातत्व विभाग के अफसरों का मानना है कि यह शाही नाव हो सकती है। अभी तक यह रहस्य कायम है कि कब और किन हालातों में यह नाव जमीन में दफन हुई होगी। पुरातत्व विभाग के निदेशक का अतिरिक्त प्रभार संभालने वाले संग्रहालय के निदेशक एके सिंह ने बताया कि यह पता लगाने की कोशिश हो रही है कि यह नाव बाढ़ के कारण यह किसी अन्य वजह से जमीन में दब गई।

अवध के इतिहास पर से पर्दा हटा सकती है ये गंडोला नाव

एतिहासिक छतर मंजिल के नीचे खुदाई के दौरान पुरातत्व विभाग को अवध के नवाबों के समय की विशालकाय गंडोला नाव मिली। मई 2017 के बाद पुरातत्व विभाग की यह तीसरी बड़ी खोज है। यूपी राजकीय निर्माण निगम के विशेषज्ञों को उत्खनन में आंशिक रूप से दिखाई देने वाली एक लकड़ी की संरचना पर ठोकर लगी। उन्होंने बताया कि शुरू में हमने सोचा कि यह एक लकड़ी की बीम है। उन्होंने कीचड़ को हटाया तो संरचना वास्तव में गंडोला थी।

खुदाई में मिली गंडोला नाव

अधिकारियों ने बताया कि 220 साल पुरानी इस इमारत में अब तक लगभग 25 फुट गहराई तक खुदाई का काम हो चुका है। डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम टेक्निकल यूनिवर्सिटी का पुरातत्व विभाग इस परियोजना में सलाहकार की भूमिका निभा रहा है।

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वहीं संस्कृति विभाग के प्रधान सचिव जितेंद्र कुमार ने इस स्थल का दौरा किया और यूपी के अधिकारियों को उसी स्थान पर गंडोला का संरक्षण करने का निर्देश दिया। उन्होंने कहा कि गंडोला अच्छी स्थिति में नहीं है। इसकी जगह बदलने से नुकसान हो सकता है।इसलिए इसी जगह पर गंडोला को संरक्षित करना बेहतर होगा।

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इतिहासकारों ने बताया बड़ी खोज

इतिहासकार पीसी सरकार ने इसे बड़ी खोज बताया है। उनका कहना है कि यह नाव नवाबों के समय में लखनऊ में जल परिवहन के अस्तित्व के बारे में जानकारी देती है और इस बात का प्रमाण है कि नवाबों के शहर में जल परिवहन प्रमुखता से होता था। मछली, मगरमच्छ और मोरपंख के आकार की नाव उसमें गोमती में चलती थी।

Published : 
  • 10 May 2019, 7:19 PM IST

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