नई दिल्ली: कोरोना वायरस से निपटने के लिए प्रधानमंत्री मोदी द्वारा देशव्यापी लॉकडाउन की घोषणा होते ही अपने गांव शहर से दूर रह रहे लोगों में घबराहट और असमंजस की स्थिति उत्पन्न हो गयी। विशेषकर उन मजदूरों, गरीबों और कमज़ोर तपकों के लोगों पर लॉकडाउन का ज़्यादा असर हुआ जो रोजाना कमाकर अपना और अपने परिवार का पेट पालते थे।
जब खबर आई कि काम, भोजन और पैसों के अभाव में ऐसे कई लोग पैदल ही सैकड़ों हज़ारों किलोमीटर की यात्रा पर अपने घरों के लिए निकल गए हैं तो युवा-हल्लाबोल ने मदद करने का निर्णय किया। बेरोज़गारी के खिलाफ लगातार सक्रिय रहे इस संगठन ने प्रशाषन के हस्तक्षेप के जरिये ज़रूरतमंदों की सेवा शुरू कर दी।
युवा-हल्लाबोल का मानना है कि ये परीक्षा की घड़ी है और हर देशवासी को एकजुट होकर इस लड़ाई को लड़ना होगा। शुरुआती तैयारियों में ज़रूर कमी रही है लेकिन जैसे जैसे आगे बढ़ेंगे तो उम्मीद है कि सरकार अपनी गलतियां सुधार लेंगी।
हेल्पलाईन नंबर पर देश के कई हिस्सों से फोन आ रहे हैं जिनपर युवाओं की टीम प्रशासन से संपर्क साधकर समस्या का निदान करने का प्रयत्न कर रही है।

