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Indian Economy: कितनी बड़ी होगी 2031 तक भारत की अर्थव्यवस्था, पढ़ें ये ग्लोबल रिपोर्ट

भारत अगर अगले सात साल तक औसतन 6.7 प्रतिशत की दर से वृद्धि करता है तो उसकी अर्थव्यवस्था वर्ष 2031 तक 6,700 अरब डॉलर की हो जाएगी जो फिलहाल 3,400 अरब डॉलर की है। एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स ने अपनी एक रिपोर्ट में यह संभावना जताई है। पढ़िये पूरी खबर डाइनामाइट न्यूज़ पर
Post Published By: डीएन ब्यूरो
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Indian Economy: कितनी बड़ी होगी 2031 तक भारत की अर्थव्यवस्था, पढ़ें ये ग्लोबल रिपोर्ट

नयी दिल्ली: भारत अगर अगले सात साल तक औसतन 6.7 प्रतिशत की दर से वृद्धि करता है तो उसकी अर्थव्यवस्था वर्ष 2031 तक 6,700 अरब डॉलर की हो जाएगी जो फिलहाल 3,400 अरब डॉलर की है। एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स ने अपनी एक रिपोर्ट में यह संभावना जताई है।

वित्त वर्ष 2022-23 में भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर 7.2 प्रतिशत रही थी।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, एसएंडपी ग्लोबल ने ‘लुक फॉरवर्ड: इंडियाज मनी’ शीर्षक से जारी अपनी रिपोर्ट में यह अनुमान जताया है। हालांकि उसने कहा है कि वैश्विक सुस्ती और भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के नीतिगत दर में बढ़ोतरी के विलंबित प्रभाव से वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष में धीमी पड़कर छह प्रतिशत रह सकती है।

साख तय करने वाली एजेंसी एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स के वैश्विक मुख्य अर्थशास्त्री पॉल ग्रुएनवाल्ड, क्रिसिल के मुख्य अर्थशास्त्री धर्मकीर्ति जोशी और एसएंडपी ग्लोबल मार्केट इंटेलिजेंस के मुख्य अर्थशास्त्री (एशिया-प्रशांत) राजीव बिस्वास ने मिलकर यह रिपोर्ट तैयार की है।

रिपोर्ट में उन्होंने कहा, ‘‘हम उम्मीद कर रहे हैं कि भारत वित्त वर्ष 2023-24 से वित्त वर्ष 2030-31 तक औसतन 6.7 प्रतिशत की दर से वृद्धि करेगा। इससे देश की जीडीपी वित्त वर्ष 2022-23 के 3,400 अरब डॉलर से बढ़कर 6,700 अरब डॉलर हो जाएगी। इस दौरान प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद भी बढ़कर करीब 4,500 डॉलर हो जाएगी। ’’

रिपोर्ट के अनुसार, आने वाले एक दशक में भारत के लिए बड़ी चुनौती पारंपरिक रूप से असंतुलित वृद्धि को उच्च तथा स्थिर प्रवृत्ति में बदलने की होगी। सरकार और निजी क्षेत्र के बुनियादी ढांचे तथा विनिर्माण क्षेत्र में तेजी से निवेश से भारत इस रास्ते पर बढ़ सकता है।

क्रिसिल के मुख्य अर्थशास्त्री धर्मकीर्ति जोशी ने कहा, ‘‘वित्त वर्ष 2025-26 में वृद्धि चरम पर होगी।’’

रिपोर्ट के मुताबिक, भारत को माल एवं सेवा कर जैसे सुधारों से लाभ मिलने की संभावना है। इसके अलावा, दिवाला व ऋणशोधन अक्षमता संहिता लागू होने से कर्ज को मामले में भी चीजें बेहतर होंगी।

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