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Happy Onam: केरल में यह त्योहार क्यों है खास

ओणम केरल में मनाए जाने वाले सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट
Post Published By: डीएन ब्यूरो
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Happy Onam: केरल में यह त्योहार क्यों है खास

नई दिल्ली: देशभर में रविवार को ओणम त्योहार धूमधाम से मनाया जा रहा है। ओणम के पर्व को दक्षिण भारत में अधिक महत्वपूर्ण माना जाता है। हर साल इस त्योहार को केरल में अधिक उत्साह के साथ मनाया जाता है। यह पर्व 10 दिनों तक मनाया जाता है। इस वर्ष ओणम की शुरुआत 06 सितंबर से हुई है, जिसका समापन आज 15 सितंबर को हो रहा है।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार यह सांस्कृतिक परंपराओं, पारिवारिक समारोहों और उत्सवी आनंद से भरा त्योहार है, जिसे केरल में सभी समुदाय, चाहे वे किसी भी धर्म के हों मनाते हैं।

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क्यों है ये त्योहार खास
ओणम का पर्व खेतों में नई फसल की उपज के लिए प्रसिद्ध है। यह पर्व दक्षिण भारत में हर साल बहुत ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है। इस साल ओणम की शुरुआत 6 सितंबर से हुई है। वहीं इसका समापन 15 सितंबर यानी आज हो रहा है। इस दिन को लेकर लोगों की अपनी-अपनी मान्यताएं हैं। 

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ओणम का पर्व हर साल उत्साह और धूमधाम के साथ मनाया जाता है। इस दिन को केरल के लोग राजा महाबली की वापसी के जश्न के रूप में मनाते हैं। यह केरल के लोगों के लिए नए साल की शुरुआत का प्रतीक है।

आपको बता दें कि कि महाबली एक असुर राजा थे, लेकिन वे अपने न्याय और दया के लिए प्रसिद्ध थे। भगवान विष्णु के वामन अवतार ने राजा महाबली को पाताल लोक भेज दिया था, लेकिन उनकी महानता के कारण उन्हें साल में एक बार अपनी प्रजा से मिलने की अनुमति दी गई थी।

माना जाता है कि इस दिन राजा महाबली अपनी प्रजा से मिलने के लिए आते हैं और इसी कारण हर कोई अपने घर-आंगन को उनके स्वागत के लिए सजाता है। इस त्यौहार में कई तरह के सांस्कृतिक कार्यक्रम होते हैं, जिनमें नाव दौड़, नृत्य प्रदर्शन, रंगोली, जीवंत कलाकृतियाँ, भोजन और पारंपरिक पोशाक शामिल हैं।

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घरों को फूलों से सजाया जाता है जिसे कि "पुक्कलम" कहते है। इस दौरान राज्य में नौका दौड़ (वल्लम काली), कथकली नृत्य, और पारंपरिक ओणम साद्या (विशेष भोजन) होते हैं।

ओणम का महत्व
ओणम न केवल फसल कटाई का त्यौहार है, बल्कि एकता, समानता और उदारता के मूल्यों को प्रतिबिंबित करने का भी समय है। महाबली के शासनकाल की कहानी उस समय का प्रतिनिधित्व करती है जब सभी के साथ समान व्यवहार किया जाता था, और कोई गरीबी या पीड़ा नहीं थी।

यह त्यौहार एकजुटता की भावना का प्रतीक है, क्योंकि परिवार फिर से मिलते हैं और समुदाय विभिन्न आयोजनों, अनुष्ठानों और खेलों में भाग लेने के लिए एक साथ आते हैं।

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