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क्या आप जानते हैं कि अल्जाइमर से पीड़ित लोग क्यों गुमसुम महसूस करते हैं.. नहीं, यहां जानें

वैज्ञानिकों ने पाया है कि चूहों के मस्तिष्क में एक ‘रिसेट बटन’ लगाने से मस्तिष्क का आंतरिक चक्र (इंटरनल कंपास) तेजी से पहले जैसी स्थिति में चला जाता है, जिससे जीवों को भ्रामक परिस्थितियों से बाहर निकलने में मदद मिल सकती है। पढ़िये पूरी खबर डाइनामाइट न्यूज़ पर
Post Published By: डीएन ब्यूरो
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क्या आप जानते हैं कि अल्जाइमर से पीड़ित लोग क्यों गुमसुम महसूस करते हैं.. नहीं, यहां जानें

नयी दिल्ली: वैज्ञानिकों ने पाया है कि चूहों के मस्तिष्क में एक ‘रिसेट बटन’ लगाने से मस्तिष्क का आंतरिक चक्र (इंटरनल कंपास) तेजी से पहले जैसी स्थिति में चला जाता है, जिससे जीवों को भ्रामक परिस्थितियों से बाहर निकलने में मदद मिल सकती है।

शोधकर्ताओं ने कहा कि कनााडा के मैकगिल विश्वविद्यालय के इस शोध का विशेष रूप से उन मानसिक प्रक्रियाओं के कारण मनुष्यों से भी लेना-देना है, जो मनोभ्रंश जैसी मस्तिष्क संबंधी बीमारियों के साथ मिलकर विकराल रूप धारण कर लेती हैं। इसके चलते लोग गुमसुम और भ्रमित महसूस करने लगते हैं।

वैज्ञानिकों ने मस्तिष्क में होने वाली इस घटना को 'नेटवर्क गेन' नाम दिया है, जिसके कारण भ्रामक परिस्थिति का सामना कर रहे चूहों का मस्तिष्क पहले जैसी स्थिति में चला जाता है।

कुछ देखने के बाद मस्तिष्क का आंतरिक चक्र किस तरह प्रभावित होता है, यह समझने के लिए शोधकर्ताओं ने चूहों के सामने एक भयावह आभासी परिस्थिति पैदा की और उनकी मस्तिष्क की तंत्रिका गतिविधि को रिकॉर्ड किया।

उन्होंने कहा कि इस प्रक्रिया के दौरान उन्हें यह पता चला कि मस्तिष्क के आंतरिक हिस्से से संबंधित निर्देशक कोशिकाएं बदलते परिवेश के साथ वापस पहले जैसी स्थिति में चली जाती हैं। प्रमुख सह-शोधकर्ता जकी अजाबी ने कहा, “इन निष्कर्षों से अंतत: यह जानकारी मिल सकती है कि हम आभासी तौर पर जो देख रहे हैं, उससे हमारी सोचने-समझने की क्षमता किस तरह नियंत्रित हो सकती है।”

शोधकर्ताओं को उम्मीद है कि ये निष्कर्ष अल्जाइमर रोग के शुरुआती निदान और उपचार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।

विश्वविद्यालय के प्रमुख सह शोधकर्ता और एसोसिएट प्रोफेसर मार्क ब्रैंडन ने कहा, “अल्जाइमर के लक्षणों में से एक लक्षण यह भी है कि लोग अनुकूल परिस्थितियों में भी भ्रमित और गुमसुम महसूस करने लगते हैं।

यह शोध ‘नेचर’ पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।

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