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बीएमसी के अस्पतालों में दवा खरीद को लेकर आई बड़ी खबर, जानें ये अपडेट

बृहन्मुंबई महानगर पालिका (बीएमसी) द्वारा संचालित अस्पतालों में दवाओं की खरीद में हेराफेरी के आरोपों की उच्चस्तरीय जांच की जाएगी। महाराष्ट्र सरकार में उद्योग मंत्री उदय सामंत ने शुक्रवार को राज्य विधानसभा में यह जानकारी दी।
Post Published By: डीएन ब्यूरो
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बीएमसी के अस्पतालों में दवा खरीद को लेकर आई बड़ी खबर, जानें ये अपडेट

मुंबई: बृहन्मुंबई महानगर पालिका (बीएमसी) द्वारा संचालित अस्पतालों में दवाओं की खरीद में हेराफेरी के आरोपों की उच्चस्तरीय जांच की जाएगी। महाराष्ट्र सरकार में उद्योग मंत्री उदय सामंत ने शुक्रवार को राज्य विधानसभा में यह जानकारी दी।

उदय सामंत ने कहा कि मुंबई में बीएमसी के अस्पतालों द्वारा मरीजों को प्रदान की जाने वाली सेवाओं पर एक 'श्वेत पत्र' (एक व्यापक रिपोर्ट) भी प्रकाशित की जाएगी।

उन्होंने सदन को आश्वासन दिया कि अस्पतालों द्वारा प्रदान की जाने वाली सेवाओं में कमी तथा हेराफेरी के आरोपों की गहन जांच की जाएगी।

उदय सामंत ने शहरी विकास विभाग के प्रभारी मंत्री के रूप में विधानसभा में यह जानकारी दी। विधानसभा के मौजूदा मानसून सत्र के लिए उन्हें यह जिम्मेदारी सौंपी गयी है। शहरी विकास विभाग मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के पास है।

मुंबई में स्वास्थ्य सुविधाओं का मुद्दा विधानसभा में कांग्रेस के अमीन पटेल ने उठाया।

भाजपा के पूर्व मंत्री आशीष शेलार ने देश की वित्तीय राजधानी मुंबई में चिकित्सा सुविधाओं पर एक अवलोकन रिपोर्ट प्रस्तुत की।

आशीष शेलार ने कहा कि चूंकि मुंबई एक राजधानी है, इसलिए ग्रामीण इलाकों से मरीज बड़ी संख्या में इलाज के लिए यहां आते हैं।

भाजपा नेता शेलार ने कहा कि मुंबई में विभिन्न अस्पताल हैं, जिनमें नगर निकाय, राज्य सरकार, निजी और धर्मार्थ संगठनों द्वारा संचालित तथा कुछ केंद्र सरकार के कर्मचारियों के लिए अस्पताल हैं, लेकिन इन सभी चिकित्सा प्रतिष्ठानों के बीच कोई समन्वय नहीं है।

उन्होंने कहा, इसलिए, राज्य सरकार को मुंबई आने वाले मरीजों की संख्या और उनकी देखभाल के लिए पर्याप्त सुविधाएं मौजूद हैं या नहीं, इस पर एक श्वेत पत्र लाना चाहिए।

भाजपा के विधायक शेलार ने कहा कि मुंबई के लोगों को हर साल चुकाए जाने वाले कर के बराबर सुविधाएं नहीं मिलतीं हैं। यहां हर स्तर पर असमानता है। हालांकि, बीएमसी ने स्वास्थ्य सेवाओं पर पांच साल में 20,000 करोड़ रुपये खर्च किए हैं, लेकिन लोगों को इस राशि के बराबर सुविधाएं नहीं मिली हैं।

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