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अमेठी: बिजली व्यवस्था ध्वस्त होने से ग्रामीणों में भारी आक्रोश, आंदोलन की चेतावनी

जिले के ग्रामीण अंचलों में जनता पहले ही बारिश की मार से परेशान थी इसके उपर ध्वस्त बिजली व्यवस्था ने लोगों की परेशानियों को बढ़ा दिया है। बिजली न होने के कारण लोगों का आक्रोश धीरे-धीरे बढ़ रहा है। लोगों ने इसके खिलाफ आंदोलन की चेतावनी दी है। पूरी खबर..
Post Published By: डीएन ब्यूरो
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अमेठी: बिजली व्यवस्था ध्वस्त होने से ग्रामीणों में भारी आक्रोश, आंदोलन की चेतावनी

अमेठी: जिले के ग्रामीण अंचलों में ध्वस्त बिजली व्यवस्था के चलते लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। कई दिनों से हो रही लगातार बारिश और महीनों से गड़बड़ बिजली ने लोगों को का जीना मुहाल कर रखा है। 

बाजार शुक्ल थाना जगदीशपुर, मुसाफिरखाना, भादर, अमेठी, गौरीगंज ,जायस, फुरसतगंज, मोहनगंज, तिलोई, सेमरौता ,सहित कमई विराज, शिवरतन गंज आदि ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली के लिए हाय तौबा मची हुई है। लेकिन विभाग 9 दिन चले अढ़ाई कोस की तर्ज पर बिजली ठीक करने में लगा हुआ है। जिससे लोगों में आक्रोश व्याप्त है ।

सरकार के दावों की खुली पोल

लगभग महीनों से बिजली के लिए तरस रहे लोगों का कहना है कि विभाग सूबे के मुख्यमंत्री योगी के दावों की धज्जियां उड़ा रहा है। 18 से 20 घंटे तक बिजली देने का दावा ग्रामीण क्षेत्रों में खोखला साबित हो रहा है। बिजली बिल में बढ़ोतरी के बावजूद उपभोक्ताओं को बिजली न मिल पाना योगी सरकार के दावों की पोल खोलने के लिए काफी है। 

 

 

बिजली विभाग पर तानाशाही से काम करने का आरोप

जनता का कहाना है कि आने वाले चुनाव में भाजपा को इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा। रामनरेश तिवारी उर्फ बाबू जी,पूर्व ग्राम प्रधान संत बख्श पांडे, दद्दू सिंह BDC देवेंद्र तिवारी, प्रधान उमपति त्रिपाठी सहित अनेक लोगों ने बिजली विभाग पर तानाशाही का आरोप लगाते हुए कहा कि ठेके पर कार्यरत विभाग के कर्मचारी बिना सुविधा शुल्क लिए बिजली ठीक नहीं देते। लाइनों की पेट्रोलिंग न होने से बिजली के तारों पर पेड़ की डाल रखी हुई हैं। जिससे बार-बार बिजली सप्लाई में अवरोध उत्पन्न होता है। 

आंदोलन की चेतावनी 

बिजली के लिए खून के आंसू रो रहे ग्रामीणों ने विभाग के अधिकारियों से अविलंब बिजली व्यवस्था को सुचारु रुप से ठीक कर रोस्टर मुताबिक बिजली देने की मांग की है। उनका कहना है कि यदि दो-चार दिन में बिजली व्यवस्था ठीक नहीं हुई तो वे आंदोलन करने को मजबूर होंगे। 

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