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Maha Kumbh 2025: महाकुंभ में एंबेसडर बाबा क्यों आए चर्चाओं के केंद्र में, जानिए उनकी कहानी

महाकुंभ में एक से बढ़कर एक बाबा प्रयागराज पहुंच रहे हैं। महाकुंभ में अब एंबेसडर बाबा की भी एंट्री हो गई और उनकी कार चर्चाओं के केंद्र में है। डाइनामाइट न्यूज की इस रिपोर्ट में जानिए एंबेसडर बाबा की पूरी कहानी
Post Published By: डीएन ब्यूरो
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Maha Kumbh 2025: महाकुंभ में एंबेसडर बाबा क्यों आए चर्चाओं के केंद्र में, जानिए उनकी कहानी

प्रयागराज: महाकुंभ 2025 को शुरू होने में अब सिर्फ दो दिन ही बचे हैं। श्रद्धालुओं के स्वागत के लिए संगम नगरी तैयार है। महाकुंभ में एक से बढ़कर एक बाबा और साधु-संत शामिल होने आ रहे हैं। कुंभ में योगी से लेकर नागा साधु तक की अलग-अलग कहानियां सुनी जा रही है। अब ऐसे ही एक एंबेसडर बाबा की कहानी सामने आ रही है।

डाइनामाइट न्यूज़ की इस रिपोर्ट में जानिये एंबेसडर बाबा की कहानी और उनसे जुड़े कुछ दिलचस्प तथ्य।

महाकुंभ में एंबेसडर बाबा की धूम

महाकुंभ में कुछ अघोरी, नागा साधु तो कई योगी भी पधार रहे हैं। कई बाबाओं ने अपनी कहानियां बताईं हैं। अब एक एंबेसडर बाबा प्रयागराज आ गए हैं, जिन्होंने गाड़ी को ही अपना घर बना लिया है। एंबेसडर बाबा का असली नाम महंत राजगिरी है। वे इंदौर से महाकुंभ में आए हैं। महंत राजगिरी ने यूं तो महाकुंभ में अपनी कुटिया डाल रखी है, लेकिन इनके साथ उनकी भगवा रंग की पुरानी एंबेसडर कार चर्चाओं में है।

महंत राजगिरी एंबेसडर को ही अपना घर बताते हैं। इसके कारण उनको एंबेसडर बाबा के नाम से जाना जाता है। उनका खाना-पीना और रहना अक्सर में एंबेसडर में ही होता है।

नारंगी एंबेसडर कार को बनाया घर

डाइनामाइट न्यूज संवाददाता के अनुसार एंबेसडर बाबा बताते हैं कि यह कार उन्हें 35-40 साल पहले दान में मिली थी। उसके बाद से ही ये कार बाबा का ठिकाना बन गया है। बाबा जहां भी जाते हैं, इसी कार में ही जाते हैं। इस कार ने उनके लिए एक चलते फिरते आश्रम का रूप ले लिया है। इसमें उन्हें आत्मिक शांति और संतोष मिलता है।

कई स्थानों की यात्रा

उनका कहना है कि इस जीवनशैली ने उन्हें दुनियावी परेशानियों से दूर रखकर आत्मनिर्भर और आत्मकेंद्रित बना दिया है। इस कार से महंत राजगिरी ने कई स्थानों की यात्रा की है।

जानें क्या है इस कार की खासियत

बाबा ने इस कार की खासियत के बारे में बात की है। बाबा ने अपनी जरूरत के हिसाब और जुगाड़ करके इसे अपने ठिकाने की तरह बना लिया है। इस कार में एक पंखा बाहर की तरफ फिट है और अंदर पाइप से जुड़ा हुआ एक चेंबर है। बाबा ने इसे AC कार बना दिया है।

चलता फिरता बिस्तर

इस कार के आगे दोनों हेडलाइट पर आंखें बना दी है और कार की छत को मतान बना दिया है, जो एक चलता-फिरता एक बिस्तर की तरह काम करता है। 

बाबा ने आगे बताया कि उनका कोई परिवार नहीं है। उन्होंने अपना घर बचपन में ही छोड़ दिया था। बचपन में ही सारी मोह माया छोड़ दी, हालांकि इस गाड़ी का मोह नहीं छोड़ पाए।

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