नई दिल्लीः गणतंत्र दिवस पर ट्रैक्टर परेड में हुई हिंसा के बाद किसानों के प्रदर्शन को लेकर लगातार सवाल उठ रहे हैं। इस बीच आंदोलन को लेकर किसानों का रुख बदला है और अब किसानों का संसद मार्च रद्द हो सकता है।
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असल में कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों ने 1 फरवरी को संसद मार्च करने का ऐलान किया था, जिस दिन लोक सभा में आम बजट पेश किया जाना है। किसान संगठनों की बैठक में संसद मार्च को रद्द करने पर फैसला हो सकता है। हालांकि, इन घटनाओं के बीच करीब 2 महीनों से जारी आंदोलन कुछ कमजोर तो पड़ा है, लेकिन किसानों ने साफ कर दिया है कि केंद्र के कृषि कानूनों को वापस लेने को लेकर उनका विरोध जारी रहेगा। यही नहीं उन्होंने कहा कि बजट के दिन संसद तक होने वाले मार्च का कार्यक्रम भी यथावत रहेगा।
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वहीं दूसरी ओर किसान मजदूर संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष वीएम सिंह ने कहा कि- सरकार की भी गलती है जब कोई 11 बजे की जगह 8 बजे निकल रहा है तो सरकार क्या कर रही थी। जब सरकार को पता था कि लाल किले पर झंडा फहराने वाले को कुछ संगठनों ने करोड़ों रुपये देने की बात की थी। साथ ही उन्होंने कहा कि- हिन्दुस्तान का झंडा, गरिमा, मर्यादा सबकी है। उस मर्यादा को अगर भंग किया है, भंग करने वाले गलत हैं और जिन्होंने भंग करने दिया वो भी गलत हैं… ITO में एक साथी शहीद भी हो गया। जो लेकर गया या जिसने उकसाया उसके खिलाफ पूरी कार्रवाई होनी चाहिए।
संयुक्त किसान मोर्चा ने भी 26 जनवरी को दिल्ली में हुए हंगामे की निंदा की है। संयुक्त किसान मोर्चा ने हिंसा की निंदा करते हुए कहा है कि- संघर्षरत संगठनों ने किसानों से अपील की कि वे धरना स्थलों पर रहें और शांतिपूर्ण संघर्ष जारी रखें। किसान संगठनों ने इस आंदोलन को जारी रखने का संकल्प लिया और असामाजिक तत्वों की निंदा की, जिन्होंने किसानों के आंदोलन को नुकसान पहुंचाने की कोशिश की। संगठनों ने सरकार और अन्य ताकतों को इस आंदोलन को नहीं तोड़ने देने का संकल्प लिया है।