Site icon Hindi Dynamite News

चार लाख नसबंदियां करने के बाद डॉक्टर ने जनसंख्या नियंत्रण कानून को लेकर कही ये बड़ी बात

परिवार नियोजन के करीब चार लाख ऑपरेशन करने के विश्व कीर्तिमान का दावा करने वाले डॉक्टर डॉ. ललितमोहन पंत ने शनिवार को कहा कि मौजूदा हालात में देश को सख्त प्रावधानों वाले जनसंख्या नियंत्रण कानून की कोई जरूरत नहीं है। पढ़िये पूरी खबर डाइनामाइट न्यूज़ पर
Post Published By: डीएन ब्यूरो
Published:
चार लाख नसबंदियां करने के बाद डॉक्टर ने जनसंख्या नियंत्रण कानून को लेकर कही ये बड़ी बात

इंदौर: परिवार नियोजन के करीब चार लाख ऑपरेशन करने के विश्व कीर्तिमान का दावा करने वाले डॉक्टर डॉ. ललितमोहन पंत ने शनिवार को कहा कि मौजूदा हालात में देश को सख्त प्रावधानों वाले जनसंख्या नियंत्रण कानून की कोई जरूरत नहीं है।

पंत ने सिकुड़ते परिवारों और बुजुर्गों के अकेलेपन के सामाजिक दुष्परिणामों को रेखांकित करते हुए ऐसे वक्त यह बात कही, जब संयुक्त राष्ट्र के आंकड़ों के अनुसार भारत, चीन को पीछे छोड़ दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला देश बन गया है।

पंत (68) ने यहां डाइनामाइट न्यूज़ से कहा,‘‘भारत की आबादी स्थिर होने की दिशा में पहले ही बढ़ चुकी है। ऐसे में देश को सख्त प्रावधानों वाले जनसंख्या नियंत्रण कानून की कोई जरूरत नहीं है।’’

मध्यप्रदेश के स्वास्थ्य विभाग के सर्जन और नसबंदी के प्रमुख प्रशिक्षक पद से सेवानिवृत्त पंत के मुताबिक उन्होंने वर्ष 1982 से लेकर अब तक 3,93,177 परिवार नियोजन ऑपरेशन किए हैं। उनका दावा है कि दुनिया भर में किसी भी सर्जन ने इतने नसबंदी ऑपरेशन नहीं किए हैं।

बहरहाल, पंत का कहना है कि वह इन दिनों सिकुड़ते परिवारों और बुजुर्गों के अकेलेपन के सामाजिक दुष्परिणामों को अपनी आंखों से देख रहे हैं। उन्होंने बताया,‘‘मेरा घर इंदौर की जिस कॉलोनी में है, वहां के अधिकांश घरों में उम्रदराज लोग अकेले रहने को मजबूर हैं क्योंकि उनकी संतानें रोजगार के सिलसिले में भारतीय महानगरों या विदेश में हैं। मैं ऐसे कई जोड़ों को भी जानता हूं जिन्होंने शादी इसी शर्त पर की है कि वे कभी बच्चा पैदा नहीं करेंगे।’’

दो बेटियों के पिता पंत ने चेताया,‘‘हमें अपनी जनसंख्या में युवा और कामकाजी आबादी के बड़े अनुपात को सतत बनाए रखना होगा, वरना आने वाले सालों में जापान की तरह भारत भी बूढ़ों का देश बन सकता है।’’

उन्होंने इस बात पर भी चिंता जताई कि रोजगार के चलते शहरों पर आबादी का बोझ लगातार बढ़ता जा रहा है, जबकि गांवों से लोगों का पलायन तेज हो रहा है।

मूलतः उत्तराखंड से ताल्लुक रखने वाले पंत ने कहा,'मेरा परिवार भी बेहतर भविष्य की तलाश में उत्तराखंड का अपना पहाड़ी गांव छोड़कर मध्यप्रदेश के मैदानी इलाके में आया था, लेकिन उम्र के इस पड़ाव पर मैं मानता हूं कि शहरी और ग्रामीण आबादी में संतुलन समाज के लिए बेहद जरूरी है।'

Exit mobile version