New Delhi: भारतीय क्रिकेट के दिग्गज और ‘कैप्टन कूल’ के नाम से मशहूर महेंद्र सिंह धोनी आज 7 जुलाई को अपना 44वां जन्मदिन मना रहे हैं। धोनी न केवल एक शानदार क्रिकेटर हैं, बल्कि एक ऐसे कप्तान भी हैं जिन्होंने अपनी सूझबूझ और शांत स्वभाव से भारतीय क्रिकेट को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, धोनी के नेतृत्व में भारत ने 2007 टी20 वर्ल्ड कप, 2011 वनडे वर्ल्ड कप और 2013 चैंपियंस ट्रॉफी जैसे प्रतिष्ठित खिताब जीते। धोनी का क्रिकेटिंग सफर किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं है, जो मेहनत, जुनून और असाधारण प्रतिभा से भरा हुआ है। आइए, उनके इस प्रेरणादायक सफर पर एक नजर डालते हैं।
मुश्किल शुरुआत लेकिन हौसले बुलंद
रांची के एक साधारण परिवार में जन्मे धोनी का क्रिकेटिंग सफर आसान नहीं था। 1998 में, जब धोनी महज 18 साल के थे, तब सेंट्रल कोल्स फील्ड लिमिटेड की टीम के लिए खेलने का मौका मिला। उसी दौरान साउथ सेंट्रल रेलवे के तत्कालीन डीआरएम अनिमेष गांगुली ने उनकी बल्लेबाजी को देखकर प्रभावित होकर उन्हें रेलवे टीम में खेलने का अवसर दिया। खेल कोटे के तहत धोनी को टीटीई (टिकट ट्रैवलिंग एग्जामिनर) की नौकरी मिली। रेलवे के लिए खेलते हुए धोनी ने घरेलू क्रिकेट में शानदार प्रदर्शन किया। उनकी आक्रामक बल्लेबाजी और विकेटकीपिंग ने जल्द ही बीसीसीआई का ध्यान खींचा और उन्हें अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में कदम रखने का मौका मिला।
विस्फोटक शुरुआत ने रातों रात बना दिया स्टार
धोनी ने 2004 में बांग्लादेश के खिलाफ वनडे क्रिकेट में डेब्यू किया, लेकिन उनका पहला मैच निराशाजनक रहा। वह बिना खाता खोले रनआउट हो गए। यह शुरुआत भले ही खराब थी, लेकिन धोनी ने हार नहीं मानी। 2005 में पाकिस्तान के खिलाफ वनडे सीरीज में उन्होंने 148 रनों की धमाकेदार पारी खेली, जिसने सबका ध्यान खींचा। इसके बाद श्रीलंका के खिलाफ 183 रनों की नाबाद पारी ने उन्हें रातोंरात स्टार बना दिया। इस पारी ने धोनी को विस्फोटक विकेटकीपर-बल्लेबाज के रूप में स्थापित किया।
कप्तानी का सुनहरा दौर
2007 में धोनी को टी20 वर्ल्ड कप के लिए भारतीय टीम का कप्तान बनाया गया। युवा और अनुभवहीन टीम के साथ उन्होंने पाकिस्तान को फाइनल में हराकर भारत को पहला टी20 वर्ल्ड कप जिताया। यह जीत भारतीय क्रिकेट के लिए मील का पत्थर साबित हुई। इसके बाद 2011 में धोनी ने वनडे वर्ल्ड कप फाइनल में श्रीलंका के खिलाफ 91 रनों की नाबाद पारी खेलकर भारत को 28 साल बाद विश्व चैंपियन बनाया। उनका वह ऐतिहासिक छक्का आज भी हर क्रिकेट प्रेमी के जेहन में बस्ता है। धोनी ने 2013 में चैंपियंस ट्रॉफी और 2010 और 2016 में एशिया कप में जीत दर्ज कराई और सबका दिल जीता।
IPL में ‘थाला’ की बादशाहत
धोनी की कप्तानी का जादू सिर्फ अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट तक सीमित नहीं रहा। इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) में चेन्नई सुपर किंग्स (CSK) को उन्होंने पांच बार चैंपियन बनाया। धोनी की रणनीति, शांत स्वभाव और खिलाड़ियों पर भरोसे ने CSK को सबसे सफल फ्रेंचाइजी बनाया।
करियर का अंत भी रनआउट के साथ
धोनी का अंतरराष्ट्रीय करियर उसी अंदाज में खत्म हुआ, जैसे शुरू हुआ था। 2019 वनडे वर्ल्ड कप के सेमीफाइनल में न्यूजीलैंड के खिलाफ वह 50 रन बनाकर रनआउट हो गए। भारत यह मैच हार गया और धोनी फैंस को जीत का तोहफा नहीं दे सके। 15 अगस्त 2020 को धोनी ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास का ऐलान कर दिया, जिससे फैंस हैरान रह गए।
धोनी का सर्वश्रेष्ठ स्कोर
धोनी ने 90 टेस्ट मैचों में 4876 रन, 350 वनडे में 10773 रन और 98 टी20 में 1617 रन बनाए। टेस्ट में उनका सर्वश्रेष्ठ स्कोर 224 और वनडे में 183 नाबाद रहा। उनकी कप्तानी में भारत ने कई ऐतिहासिक जीत हासिल कीं। धोनी की फैन फॉलोइंग आज भी उतनी ही जबरदस्त है।
महेंद्र सिंह धोनी का सफर एक साधारण लड़के से विश्व क्रिकेट के दिग्गज तक का है। उनकी मेहनत, धैर्य और नेतृत्व क्षमता ने उन्हें ‘थाला’ और ‘कैप्टन कूल’ बनाया। आज भी वह युवा क्रिकेटरों के लिए प्रेरणा हैं और क्रिकेट प्रेमियों के दिलों में हमेशा राज करेंगे।