पुरी: ओड़िशा के पुरी में निकलने वाली जगन्नाथ रथ यात्रा केवल एक धार्मिक परंपरा नहीं, बल्कि आत्मा को झकझोर देने वाला दिव्य अनुभव है। हर साल लाखों श्रद्धालु भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और देवी सुभद्रा के रथों को खींचने के लिए उमड़ पड़ते हैं। मान्यता है कि इस यात्रा में एक बार भी शामिल होना जीवन के समस्त पापों का अंत कर देता है। लेकिन इस यात्रा की एक और अत्यंत दिव्य परंपरा है — “महाप्रसाद”।
यह महाप्रसाद, भगवान जगन्नाथ को अर्पित करके भक्तों में वितरित किया जाता है। इसे साधारण प्रसाद नहीं माना जाता, बल्कि यह भगवान का प्रत्यक्ष आशीर्वाद होता है, जो न केवल शरीर बल्कि आत्मा को भी शुद्ध करता है। इस लेख में हम आपको बता रहे हैं कि इस महाप्रसाद का क्या महत्व है, और इसे ग्रहण करते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए।
महाप्रसाद का महत्व क्या है?
जगन्नाथ धाम में मिलने वाले प्रसाद को “महाप्रसाद” कहा जाता है क्योंकि यह सीधे भगवान को चढ़ाया गया होता है। ऐसी आस्था है कि महाप्रसाद को श्रद्धा से ग्रहण करने पर जीवन के सारे पाप मिट जाते हैं और सुख-शांति की प्राप्ति होती है। यह प्रसाद आत्मा को शुद्ध करता है और मन में ईश्वर के प्रति समर्पण भाव जगाता है।
महाप्रसाद को कैसे ग्रहण करें?
पूरी श्रद्धा से खाएं: महाप्रसाद कभी जल्दबाज़ी में या लापरवाही से न खाएं। इसे ग्रहण करते समय भगवान जगन्नाथ का ध्यान करें और प्रसाद की पवित्रता बनाए रखें।
बर्बाद न करें: यह प्रसाद भगवान का आशीर्वाद है। इसका एक भी कण व्यर्थ न जाए। यदि कुछ बच जाए तो उसे पवित्र स्थान पर रखें या पशु-पक्षियों को अर्पित करें।
बांटकर खाएं: प्रसाद का असली आनंद तभी है जब आप इसे अपनों और ज़रूरतमंदों के साथ बांटें। माना जाता है कि जितनों में आप इसे बांटते हैं, उतनी ही अधिक कृपा आपको मिलती है।
सूखा प्रसाद संभालकर रखें: अगर आपको खुरमा, गजा जैसे सूखे प्रसाद मिलते हैं, तो उन्हें घर में श्रद्धा से रख सकते हैं। बाद में भी इसे ग्रहण करना पुण्यदायी होता है।
बीमार और ज़रूरतमंदों को दें: महाप्रसाद को जरूरतमंदों और बीमारों में वितरित करने से उन्हें मानसिक और आध्यात्मिक राहत मिलती है।
घर में रखें: कई लोग प्रसाद का छोटा अंश घर के अनाज के डिब्बे या मंदिर में रखते हैं, जिससे घर में सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है।
किन बातों से बचें?
- प्रसाद का अपमान भूलकर भी न करें।
- इसे अपवित्र स्थान पर न रखें और घमंड से ग्रहण न करें।
- प्रसाद हमेशा साफ हाथों से लें।
जगन्नाथ रथ यात्रा का महाप्रसाद केवल भोजन नहीं, बल्कि ईश्वर का वरदान है, जो भक्ति, आस्था और मोक्ष की राह पर एक अहम कदम होता है।

