मकर संक्रांति 2026: पूजा विधि, स्नान-दान का शुभ मुहूर्त और जानें इस पर्व का आध्यात्मिक महत्व

हिंदू पंचांग के अनुसार मकर संक्रांति एक अत्यंत पावन और महत्वपूर्ण पर्व माना जाता है। मकर संक्रांति 2026 का पर्व कब है? जानिए पूजा विधि, गंगा स्नान और दान का शुभ मुहूर्त, तिल-गुड़ का महत्व और मकर संक्रांति से जुड़ा आध्यात्मिक व ज्योतिषीय महत्व।

Post Published By: Sapna Srivastava
Updated : 20 December 2025, 3:37 PM IST

New Delhi: हिंदू पंचांग के अनुसार मकर संक्रांति एक अत्यंत पावन और महत्वपूर्ण पर्व माना जाता है। यह त्योहार सूर्य के मकर राशि में प्रवेश के साथ मनाया जाता है और इसे देवताओं का दिन भी कहा जाता है। साल 2026 में मकर संक्रांति न केवल धार्मिक बल्कि आध्यात्मिक और ज्योतिषीय दृष्टि से भी खास मानी जा रही है।

मकर संक्रांति 2026 कब है?

साल 2026 में मकर संक्रांति 14 जनवरी, बुधवार को मनाई जाएगी। इस दिन सूर्य धनु राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करेंगे। इसी के साथ खरमास समाप्त होता है और मांगलिक कार्यों की शुरुआत हो जाती है।

मकर संक्रांति 2026 का शुभ मुहूर्त

  • सूर्य संक्रांति का समय: सुबह लगभग 08:45 बजे
  • पुण्य काल: सुबह 08:45 से शाम 05:30 बजे तक
  • महापुण्य काल: सुबह 08:45 से 10:30 बजे तक

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, पुण्य काल में किया गया स्नान, दान और जप विशेष फलदायी माना जाता है।

प्रदोष व्रत में भूलकर भी न करें ये गलतियां, वरना नहीं मिलेगा भगवान शिव की पूजा का पूरा फल

मकर संक्रांति की पूजा विधि

मकर संक्रांति के दिन पूजा और स्नान का विशेष महत्व होता है। सही विधि से पूजा करने से पुण्य फल की प्राप्ति होती है।

पूजा विधि इस प्रकार है:

  • ब्रह्म मुहूर्त में उठकर पवित्र नदी, तालाब या घर पर ही स्नान करें।
  • स्नान के बाद सूर्य देव को तांबे के लोटे से जल अर्पित करें।
  • “ॐ सूर्याय नमः” मंत्र का जाप करें।
  • घर में तिल, गुड़, चावल और खिचड़ी का भोग लगाएं।
  • जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र, तिल और गुड़ का दान करें।

स्नान-दान का महत्व

मकर संक्रांति पर गंगा, यमुना, गोदावरी और नर्मदा जैसी पवित्र नदियों में स्नान करना विशेष पुण्यदायी माना गया है। मान्यता है कि इस दिन किया गया दान सौ गुना फल देता है।
तिल का दान पापों से मुक्ति दिलाता है और जीवन में सुख-समृद्धि लाता है।

पौष अमावस्या 2025: साल की आखिरी अमावस्या पर क्या करें और क्या न करें? देखें पितरों का आशीर्वाद पाने के खास उपाय

तिल-गुड़ का धार्मिक महत्व

मकर संक्रांति पर तिल और गुड़ का सेवन करना परंपरा का हिस्सा है। तिल शुद्धता और गुड़ मिठास का प्रतीक माना जाता है। यह संदेश देता है कि जीवन में मधुरता और आपसी सौहार्द बनाए रखें।

मकर संक्रांति का आध्यात्मिक महत्व

इस दिन से सूर्य उत्तरायण हो जाते हैं, जिसे सकारात्मक ऊर्जा और आत्मिक उन्नति का समय माना जाता है। कहा जाता है कि उत्तरायण में शरीर त्यागने वाली आत्माओं को मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसी कारण यह पर्व साधना, जप और ध्यान के लिए भी अत्यंत शुभ माना जाता है।

Location : 
  • New Delhi

Published : 
  • 20 December 2025, 3:37 PM IST