Maharajganj: सिंदुरिया नगर में रविवार को वैश्य एवं व्यापारी समाज की एक अहम और आपातकालीन बैठक आयोजित की गई, जिसमें समाज के प्रमुख नेताओं और व्यापारियों ने एकजुट होकर उत्तर प्रदेश सरकार के ऊर्जा मंत्री ए.के. शर्मा के आपत्तिजनक और अपमानजनक बयान के खिलाफ अपना आक्रोश जताया। मंत्री द्वारा दिए गए बयान “हम कोई बनिया की दुकान नहीं चला रहे हैं कि पैसा दे दिया और सामान भी नहीं मिलेगा” को लेकर समाज में भारी नाराजगी है।
डाइनामाइट न्यूज संवाददाता के अनुसार बैठक में शामिल सभी व्यापारियों और समाज के प्रतिनिधियों ने इस बयान की तीव्र भर्त्सना की और इसे वैश्य समाज की गरिमा और सम्मान के खिलाफ बताया। वक्ताओं ने मंत्री के बयान को दुखद, दुर्भाग्यपूर्ण और समाज को नीचा दिखाने वाला करार दिया।
इस दौरान समाज के लोगों ने एक स्वर में यह मांग रखी कि ऊर्जा मंत्री तत्का
ल सार्वजनिक रूप से माफी मांगें और अपने पद से इस्तीफा दें, तभी समाज का आक्रोश शांत होगा। वक्ताओं ने यह भी स्पष्ट किया कि यदि मंत्री की ओर से कोई सकारात्मक कदम नहीं उठाया गया, तो वैश्य एवं व्यापारी समाज प्रदेशव्यापी आंदोलन के लिए बाध्य होगा।
रविवार को जिले में वैश्य और व्यापारी समाज की एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई, जिसमें समाज के सैकड़ों प्रतिष्ठित सदस्य शामिल हुए। बैठक का उद्देश्य हाल ही में हुए कथित अपमानजनक बयान के विरोध में रणनीति बनाना था, जिससे समाज में भारी आक्रोश व्याप्त है। बैठक में निर्णय लिया गया कि जब तक संबंधित मंत्री सार्वजनिक रूप से माफी नहीं मांगते और इस्तीफा नहीं देते, तब तक आंदोलन चरणबद्ध तरीके से जारी रहेगा।
इस अहम बैठक में हमारा समाज पार्टी के जिलाध्यक्ष राजेश गुप्ता, व्यापार मंडल नगर अध्यक्ष विद्याभूषण गुप्ता, कोषाध्यक्ष रामप्रताप गुप्ता, महामंत्री शहाबुद्दीन अंसारी, शैलेश मोदनवाल, अजय गुप्ता, वीरेंद्र गुप्ता, धर्मेंद्र कसौधन, सनी गुप्ता, वेद प्रकाश आनंद, गोविंद यादव, सुधीर मद्धेशिया, रिंकू रौनियार, बबलू प्रजापति, दीप कुमार गुप्ता, अमरजीत शर्मा, विजय यादव समेत बड़ी संख्या में वैश्य और व्यापारी समाज के अन्य सम्मानित सदस्य मौजूद रहे।
बैठक में वक्ताओं ने एक स्वर में कहा कि यह लड़ाई सिर्फ समाज के सम्मान की नहीं, बल्कि आत्मगौरव और अस्तित्व की लड़ाई है। यदि सरकार ने गंभीरता से इस मामले को नहीं लिया, तो पूरे प्रदेश में बड़ा आंदोलन छेड़ा जाएगा। यह भी तय किया गया कि आगामी दिनों में जिलाधिकारी और मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंपा जाएगा और सांकेतिक धरना भी दिया जाएगा।
बैठक के अंत में सर्वसम्मति से प्रस्ताव पास हुआ कि समाज के मान-सम्मान से कोई भी समझौता नहीं किया जाएगा। यह आंदोलन शांतिपूर्ण, लेकिन दृढ़ और निर्णायक होगा। यदि जरूरत पड़ी तो लखनऊ तक कूच किया जाएगा और राज्यव्यापी बंद का आह्वान भी किया जा सकता है। यह बैठक न केवल समाज की एकजुटता का प्रतीक बनी, बल्कि यह भी दर्शा गई कि अब वैश्य और व्यापारी समाज अपने आत्मसम्मान के लिए मूक दर्शक नहीं बनेगा, बल्कि निर्णायक भूमिका निभाएगा।