Bengaluru: भारत की टेक राजधानी बेंगलुरु, जहां ट्रैफिक जाम लोगों की जिंदगी की रोजमर्रा की कहानी है, अब वहां एक नया अध्याय शुरू हुआ है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बेंगलुरुवासियों को एक बड़ी सौगात दी है — नम्मा मेट्रो की येलो लाइन, जो सिर्फ एक मेट्रो कॉरिडोर नहीं, बल्कि एक “स्मार्ट मूवमेंट मॉडल” की शुरुआत मानी जा रही है।
2 घंटे का सफर अब सिर्फ 45 मिनट में
सूत्रों के अनुसार कुल 7,160 करोड़ रुपये की लागत से तैयार हुआ 19.15 किलोमीटर लंबा यह कॉरिडोर आरवी रोड को बोम्मसंद्रा से जोड़ता है, जिसमें 16 मेट्रो स्टेशन शामिल हैं। खास बात यह है कि यह रूट सिल्क बोर्ड जंक्शन, BTM लेआउट, इलेक्ट्रॉनिक सिटी और बोम्मसंद्रा जैसे भीड़भाड़ वाले इलाकों से होकर गुजरता है, जहां आईटी सेक्टर और मैन्युफैक्चरिंग हब मौजूद हैं।
सिर्फ मेट्रो नहीं, एक माइक्रो-रिवोल्यूशन
बेंगलुरु की येलो लाइन को महज़ एक ट्रांसपोर्ट सुविधा मानना इसकी उपयोगिता को कमतर आंकना होगा। यह लाइन बेंगलुरु की अर्थव्यवस्था, इनफ्रास्ट्रक्चर और जीवनशैली में व्यापक बदलाव लाने की क्षमता रखती है। यहां से गुजरने वाले लाखों कर्मचारी, खासकर इंफोसिस, बॉयोकॉन, और TCS जैसे कॉरपोरेट्स से जुड़े लोग, अब समय पर ऑफिस पहुंच सकेंगे।
दक्षिण से पूर्व की दिशा में सीधा कनेक्शन
16 स्टेशनों में से प्रमुख हैं:
- आरवी रोड (ग्रीन लाइन से कनेक्टिविटी)
- BTM लेआउट
- सेंट्रल सिल्क रोड
- इलेक्ट्रॉनिक सिटी-1
- बोम्मसंद्रा (औद्योगिक हब)
यह पूरी लाइन रोजाना करीब 8 लाख यात्रियों की क्षमता रखती है, और यात्रा का समय 45 मिनट तक सीमित किया गया है, जो पहले डेढ़ से दो घंटे तक था।
क्या किराया जेब पर भारी पड़ेगा?
यात्रियों को राहत देने के लिए एक तरफ का किराया 10 से 90 रुपये के बीच रखा गया है। यह मेट्रो सुबह 5 बजे से रात 11 बजे तक चलेगी और शुरुआती तौर पर हर 25 मिनट में एक ट्रेन, बाद में इसे 20 मिनट तक लाने की योजना है।
बेंगलुरु की ट्रांसपोर्ट क्रांति का अगला कदम
न सिर्फ येलो लाइन की शुरुआत हुई, बल्कि पीएम मोदी ने इसके साथ ही फेज 3 की भी नींव रखी, जिसमें 44.65 किलोमीटर का विस्तार होगा और 15,610 करोड़ रुपये की लागत आएगी। इसके बाद नम्मा मेट्रो नेटवर्क की पकड़ और भी मजबूत हो जाएगी।बेंगलुरु की येलो लाइन सिर्फ एक मेट्रो ट्रैक नहीं, बल्कि एक विचार है — तेज, सुविधाजनक और आधुनिक शहरी जीवन की ओर बढ़ते कदम का। यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या यह सुविधा भीड़, प्रदूषण और देरी जैसी पुरानी समस्याओं को मात दे पाएगी, या फिर शहर को रफ्तार देने के वादे सिर्फ उद्घाटन समारोह तक ही सीमित रह जाएंगे।