Nashik: रक्षाबंधन… वो दिन जब बहनें अपने भाई की लंबी उम्र की कामना करती हैं। लेकिन महाराष्ट्र के नासिक जिले के वडनेर दुमाला गांव में इस पवित्र त्योहार ने ऐसा ज़ख्म दे दिया, जिसे न वक्त भर पाएगा, न आंसू धो पाएंगे।
क्या हुआ था शनिवार की सुबह?
सूत्रों के अनुसार, शनिवार की सुबह जब देशभर में राखी के रंग बिखर रहे थे, तब इस गांव में एक 9 साल की बच्ची अपने तीन साल के छोटे भाई की निर्जीव कलाई पर राखी बांध रही थी। आंखों से बहते आंसुओं के बीच कांपते हाथों से उसने राखी बांधी… और पूरा गांव फफक कर रो पड़ा।
त्योहार की पूर्व संध्या पर मातम छाया
आयुष भगत, सिर्फ 3 साल का मासूम, रक्षाबंधन से ठीक एक दिन पहले घर के सामने खेल रहा था। तभी एक तेंदुआ आया और उसे झपटकर जंगल की ओर ले गया। परिजन दौड़े, गांव वाले इकट्ठा हुए, लेकिन कुछ ही देर बाद उसका शव पास के झाड़ियों में मिला — नन्हा शरीर खून से लथपथ था, त्योहार की पूर्व संध्या पर मातम छा गया।
कांप उठा बहन का दिल
अगली सुबह, जब हर बहन अपने भाई को टीका कर रही थी, आयुष की बहन का जीवन ठहर गया था। लेकिन उसने रक्षाबंधन का वादा निभाया — उसने अपने मृत भाई की कलाई पर राखी बांधी। वो राखी, जो अब रक्षा नहीं कर पाएगी, लेकिन उस बहन के प्रेम की अमिट मिसाल बन गई।
शमशान घाट की ओर बढ़ती भीड़ में सन्नाटा
शमशान घाट की ओर बढ़ती भीड़ में सन्नाटा था, और आंखों से बहते आंसू बता रहे थे — राखी के दिन एक बहन का संसार उजड़ गया।
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यह सिर्फ एक खबर नहीं, एक ऐसा दर्द है जो हर दिल को छू जाता है।
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