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Parliament Monsoon Session 2025: विपक्ष पर गरजे चिराग पासवान, बोले- बिल फाड़कर मुंह पर फेंकना परंपरा बन गई है

संसद के मानसून सत्र के आखिरी दिन विपक्ष और सरकार के बीच तकरार तेज हो गई। केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने विपक्ष के हंगामे पर नाराजगी जताई और कहा कि ऐसे आचरण से लोकतंत्र कमजोर होता है। उन्होंने राहुल गांधी पर भी बिना नाम लिए निशाना साधा।
Post Published By: Sapna Srivastava
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Parliament Monsoon Session 2025: विपक्ष पर गरजे चिराग पासवान, बोले- बिल फाड़कर मुंह पर फेंकना परंपरा बन गई है

New Delhi: संसद के मानसून सत्र 2025 का आखिरी दिन भी हंगामेदार रहा। विपक्ष द्वारा प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्रियों और मंत्रियों पर गंभीर आपराधिक आरोप लगने की स्थिति में पद छोड़ने संबंधी विधेयक को लेकर विरोध तेज हो गया है। इसी मुद्दे पर केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने विपक्ष को कड़ी फटकार लगाई और कहा कि इस तरह का बर्ताव लोकतंत्र के लिए हानिकारक है।

गुरुवार (21 अगस्त 2025) को संसद परिसर में न्यूज एजेंसी ANI से बात करते हुए, चिराग पासवान ने विपक्ष के रवैये को “निंदनीय और अलोकतांत्रिक” करार दिया। उन्होंने कहा कि विपक्ष की लोकतंत्र में एक अहम भूमिका होती है, लेकिन जब वह सदन को बाधित करने और बिल फाड़ने जैसे व्यवहार करने लगे, तो यह गंभीर चिंता का विषय बन जाता है।

लोकतंत्र को कमजोर कर रहा है विपक्ष – चिराग

पासवान ने कहा, ‘ये अत्यंत निंदनीय है। लोकतंत्र में विपक्ष की भूमिका महत्वपूर्ण होती है, लेकिन इस तरह का व्यवहार लोकतंत्र के लिए गलत परंपरा की शुरुआत है। अगर किसी को गृह मंत्री अमित शाह की बातों से आपत्ति है, तो उसे सदन में सामने रखिए, न कि हंगामा करिए।’

बिल फाड़ना विपक्ष की पुरानी आदत: चिराग

पासवान ने कांग्रेस और विपक्ष पर आरोप लगाते हुए कहा कि उन्होंने पहले भी संसद में इसी तरह का व्यवहार किया है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने तो अपनी ही सरकार के दौरान प्रधानमंत्री के बिल को फाड़ने का काम किया था, जो दर्शाता है कि यह उनकी कार्यशैली का हिस्सा बन चुका है। हालांकि उन्होंने किसी का नाम नहीं लिया, लेकिन इशारा राहुल गांधी की ओर माना जा रहा है।

क्या है विवादित विधेयक?

सरकार द्वारा प्रस्तुत यह विधेयक कहता है कि यदि किसी प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री या मंत्री पर गंभीर आपराधिक आरोप तय होते हैं और वह 30 दिनों में जमानत नहीं पाता, तो उसे पद से हटाया जा सकता है। विपक्ष का कहना है कि यह विधेयक संवैधानिक मूल्यों के खिलाफ है और इसका इस्तेमाल राजनीतिक बदले के लिए हो सकता है।

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