नोएडा: कानून-व्यवस्था बनाए रखने और संभावित असामाजिक गतिविधियों को रोकने के लिए धारा 163 बीएनएस (भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता) को लागू किया गया है। यह आदेश 9 जून 2025 तक प्रभावी रहेगा। इस धारा के तहत कई प्रकार की पाबंदियां लगाई गई हैं, जिनमें सार्वजनिक स्थानों पर नमाज पढ़ने, प्रदर्शन करने और समूह में एकत्रित होने जैसी गतिविधियां शामिल हैं।
धारा 163 असल में पहले की धारा 144 (सीआरपीसी) का नया रूप है, जिसे बीएनएस (BNS – Bharatiya Nyaya Sanhita) के तहत संशोधित कर लागू किया गया है। यह धारा विशेष परिस्थितियों में शांति व्यवस्था बनाए रखने और किसी संभावित खतरे से निपटने के लिए लागू की जाती है।
क्या है धारा 163?
धारा 163 बीएनएस के अनुसार, जिला मजिस्ट्रेट या राज्य सरकार की ओर से अधिकृत अधिकारी को यह अधिकार होता है कि वह जनहित में किसी भी व्यक्ति, समूह या क्षेत्र के लिए आदेश जारी कर सके। इसका उद्देश्य सार्वजनिक शांति और सुरक्षा सुनिश्चित करना होता है। यह एक आपातकालीन और एकतरफा आदेश होता है, जिसे बिना किसी पूर्व सूचना के लागू किया जा सकता है।
इस धारा के तहत किसी व्यक्ति विशेष की गतिविधियों को रोका जा सकता है, भीड़ एकत्र होने से मना किया जा सकता है और हथियार रखने पर प्रतिबंध लगाया जा सकता है।
किन गतिविधियों पर रोक?
- सार्वजनिक स्थलों पर सामूहिक नमाज अदा करना
- किसी भी प्रकार के धरना-प्रदर्शन और जुलूस
- भीड़ इकट्ठा करना
- ड्रोन उड़ाना
- लाउडस्पीकर का अनियंत्रित प्रयोग
- सोशल मीडिया पर अफवाह फैलाना
- प्रतिबंधित पशुओं की कुर्बानी
- पुलिस का कहना है कि ईद और अन्य त्योहारों को देखते हुए यह फैसला ऐहतियातन लिया गया है ताकि जिले में सौहार्द्र और शांति बनी रहे।
सजा और दंड
यदि उल्लंघन से कोई सीधा खतरा उत्पन्न नहीं होता, तो 1 महीने की जेल या 1000 रुपये जुर्माना या दोनों।
यदि उल्लंघन से जनजीवन, स्वास्थ्य या सार्वजनिक शांति को खतरा होता है, तो 6 महीने तक की जेल या 5000 रुपये तक का जुर्माना, या दोनों।
आदेश को चुनौती कैसे दें?
जिस व्यक्ति को यह आदेश प्रभावित करता है, वह संबंधित मजिस्ट्रेट के समक्ष जाकर अपनी बात रख सकता है। मजिस्ट्रेट उचित सुनवाई के बाद आदेश को संशोधित या रद्द भी कर सकता है।