New Delhi: भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक रिश्तों में नया भूचाल आया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 1 अगस्त से भारत से आयात होने वाले उत्पादों पर 25% टैरिफ लगाने की घोषणा कर दी है। यह फैसला भारत के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है क्योंकि अमेरिका 87 अरब डॉलर का सबसे बड़ा निर्यात गंतव्य है।
सबसे ज्यादा प्रभावित सेक्टर
-
इलेक्ट्रॉनिक सेक्टर –
भारत का सबसे बड़ा निर्यातक सेक्टर, खासकर स्मार्टफोन, लैपटॉप और सर्वर जैसे उत्पाद, अब ट्रंप के टैरिफ के दायरे में आ सकते हैं। हालांकि 2 हफ्तों की छूट दी गई है, लेकिन यह अस्थायी राहत है। -
टेक्सटाइल सेक्टर –
भारत से 28% कपड़ा निर्यात अकेले अमेरिका को होता है। लेकिन अब बांग्लादेश और वियतनाम जैसी प्रतिस्पर्धी अर्थव्यवस्थाएं, जो कम टैरिफ झेल रही हैं, भारत के सामने बड़ी चुनौती पेश करेंगी। -
फार्मा सेक्टर –
भारत का 10.5 अरब डॉलर का फार्मा निर्यात अमेरिका को होता है। फिलहाल यह सेक्टर टैरिफ से बाहर है, लेकिन भविष्य में बदलाव की आशंका बनी हुई है। -
रत्न और आभूषण –
टैरिफ बढ़ने के बाद पॉलिश्ड डायमंड, गोल्ड और सिल्वर ज्वैलरी महंगी हो जाएंगी, जिससे अमेरिकी बाजार में इनकी मांग गिर सकती है। -
कृषि उत्पाद –
सीफूड, मसाले और चावल जैसे उत्पादों पर 25% टैरिफ लगना तय है, जिससे छोटे और मध्यम निर्यातकों को भारी नुकसान हो सकता है।
क्या रूस से रिश्ते बनेंगे बोझ?
अमेरिका ने साफ चेतावनी दी है कि रूस से हथियार और ऊर्जा सेक्टर में व्यापार करने पर अतिरिक्त पेनाल्टी लगाई जा सकती है। भारत, रूस से सबसे सस्ता कच्चा तेल खरीदता है — हर दिन 16-17 लाख बैरल, जो भारत की कुल जरूरत का 35% है। अगर अमेरिका इस पर जुर्माना लगाता है तो भारत की तेल अर्थव्यवस्था प्रभावित होगी।
रक्षा सौदों पर खतरा
रूस से भारत की रक्षा साझेदारी ऐतिहासिक रही है। बीते दो दशकों में भारत ने 40 अरब डॉलर के हथियार रूस से खरीदे हैं। आर्मी, एयरफोर्स और नेवी तीनों ही रूसी तकनीक पर निर्भर हैं — T-90 टैंक, मिग और सुखोई फाइटर्स, एमआई-17 हेलिकॉप्टर और एस-400 मिसाइल सिस्टम जैसे सौदे अमेरिकी दबाव में फंस सकते हैं।