Nepal: नेपाल में राजनीतिक संकट गहराने लगा है, जहां जनता प्रधानमंत्री केपी ओली और उनकी सरकार के खिलाफ सड़कों पर उतर आई है। विरोध प्रदर्शन में नागरिकों ने अपनी पांच अहम मांगें रखीं हैं। उन्होंने कहा कि ओली सरकार का समय खत्म हो चुका है और अब वे लोकतंत्र की रक्षा के लिए हर कदम उठाएंगे।
जनता की पांच प्रमुख मांगें
- संसद को भंग किया जाए।
- सभी सांसद इस्तीफा दें।
- उन वरिष्ठ अधिकारियों को तुरंत सस्पेंड किया जाए जिन्होंने प्रदर्शनकारियों पर गोली चलाने का आदेश दिया।
- जनता के नेतृत्व में एक अंतरिम सरकार बनाई जाए।
- अंतरिम सरकार के तहत जल्द चुनाव कराए जाएं।
प्रदर्शनकारी कहते हैं, “अब हम आपकी लीडरशिप नहीं चाहते। आपने हमारे बच्चों को मारा और सत्ता का दुरुपयोग किया। अब हम सत्ता वापस लेंगे और इस बार आपको अपने वोट से हराएंगे।” सोशल मीडिया पर वायरल पोस्टरों में कहा गया कि संसद ने जनता का विश्वास खो दिया है और भ्रष्टाचार व तानाशाही के चलते जनता अब खुद निर्णय ले रही है।
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हिंसक प्रदर्शन और मौतें
सोमवार को हजारों युवाओं ने सोशल मीडिया बैन और सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया। यह प्रदर्शन हिंसक रूप ले लिया, जिससे कम से कम 21 लोगों की मौत हो गई। सरकार ने बैन हटाया, लेकिन प्रधानमंत्री केपी ओली ने इस्तीफा देने से इनकार किया।
सरकार ने नागरिकों से शांति बनाए रखने और प्रदर्शन वापस लेने की अपील की, लेकिन काठमांडू में लोग संसद के बाहर फिर इकट्ठा हो रहे हैं। विरोध प्रदर्शन तेज होने की संभावना जताई जा रही है।
विशेषज्ञ मानते हैं कि नेपाल में जनता का यह विद्रोह बांग्लादेश की तरह तख्तापलट जैसी स्थिति पैदा कर सकता है। बेरोजगारी, भ्रष्टाचार और आर्थिक मंदी के कारण युवा वर्ग में गुस्सा बढ़ता जा रहा है। प्रदर्शनकारी चेतावनी दे रहे हैं कि लोकतंत्र और नागरिक अधिकारों की रक्षा के लिए वे हर संभव कदम उठाएंगे।
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि अगर सरकार ने समय रहते कदम नहीं उठाया, तो देश में राजनीतिक अस्थिरता और बढ़ सकती है। जनता ने साफ किया है कि अब वे केवल अपने वोट के माध्यम से सत्ता परिवर्तन चाहते हैं और किसी भी हिंसक दबाव के आगे झुकने को तैयार नहीं हैं।

