New Delhi: अमेरिका और पाकिस्तान के बीच नए रिश्ते इन दिनों खूब सुर्खियां बटोर रहे हैं। भारत से दूरी बढ़ने के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पाकिस्तानी नेतृत्व के करीब आते दिख रहे हैं। प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर के साथ अमेरिका का रिश्ता मजबूत होता दिख रहा है। लेकिन इस रिश्ते को लेकर भारत के पूर्व राजनयिक और कूटनीति विशेषज्ञ विकास स्वरूप ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है।
चीन के साथ गहरी दोस्ती
विकास स्वरूप ने कहा कि अमेरिका का पाकिस्तान के साथ बढ़ता हुआ रिश्ता रणनीतिक दृष्टिकोण से एक बड़ी गलती है। उन्होंने बताया कि पाकिस्तान की पहले से ही चीन के साथ गहरी दोस्ती रही है, इसलिए अमेरिका को इस बात का ध्यान रखना चाहिए था। विकास स्वरूप ने कहा, “मुझे लगता है कि अमेरिका की यह रणनीतिक भूल है कि वह पाकिस्तान के इतना करीब चला गया है, जो पहले से ही चीन से जुड़ा हुआ है। अगर आप उसके सामने झुक जाएंगे तो वह अपनी मांगें और बढ़ा देगा और यह सिलसिला चलता रहेगा।”
विकास स्वरूप ने भारत के विदेश नीति के नजरिए को भी स्पष्ट किया। उन्होंने कहा कि भारत एक बड़ा और स्वाभिमानी देश है, जो किसी के आगे नहीं झुकता। उन्होंने यह भी बताया कि भारत की विदेश नीति की नींव 1950 के दशक से ही रणनीतिक स्वायत्तता पर आधारित रही है। उन्होंने जोर देते हुए कहा, “मुझे नहीं लगता कि दिल्ली की कोई भी सरकार इस नीति में कोई समझौता करेगी।”
वित्तीय हितों पर आधारित
पाकिस्तान और अमेरिका के रिश्तों को लेकर उन्होंने यह भी कहा कि यह दोस्ती अधिक समय तक टिकेगी नहीं क्योंकि यह वित्तीय हितों पर आधारित है, न कि गहरे सामरिक या राजनीतिक आधारों पर। विकास स्वरूप ने कहा कि अमेरिका और पाकिस्तान के बीच संबंध अस्थिर हो सकते हैं क्योंकि दोनों के हितों में हमेशा सामंजस्य नहीं रहता।
इससे पहले, पूर्व राजनयिक ने अमेरिका की भारत के प्रति नाराजगी के कारणों पर भी अपनी राय दी। एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार उन्होंने कहा कि अमेरिका की नाराजगी का असली कारण भारत द्वारा रूस से तेल खरीदना नहीं है। बल्कि, उन्होंने कहा कि अमेरिका इस बात से नाराज है कि भारत ने सीजफायर समझौते का क्रेडिट अमेरिका को नहीं दिया। वहीं, ट्रंप खुद कई बार इस बात का क्रेडिट लेने की कोशिश कर चुके हैं। इस नाराजगी के चलते ट्रंप ने भारत पर टैरिफ बढ़ाकर 25 प्रतिशत से 50 प्रतिशत कर दिया है।