नई दिल्ली: ब्रिटेन की नई सरकार ने सुरक्षा और परमाणु रणनीति को लेकर बड़ा फैसला लिया है। प्रधानमंत्री कीर स्टारमर ने नीदरलैंड में चल रहे NATO शिखर सम्मेलन के दौरान ऐलान किया कि यूनाइटेड किंगडम अमेरिका से 12 अत्याधुनिक F-35 फाइटर जेट खरीदेगा जो परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम हैं। यह कदम ब्रिटेन को न केवल एक मजबूत सैन्य ताकत बनाएगा, बल्कि उसे NATO के साझा हवाई परमाणु मिशन में भी एक सक्रिय साझेदार बना देगा।
ब्रिटेन की परमाणु ताकत को मिला नया आयाम
ब्रिटिश सरकार ने इस कदम को “एक पीढ़ी में सबसे बड़ा परिवर्तन” बताया है। अब तक ब्रिटेन की परमाणु क्षमताएं केवल पनडुब्बियों से दागी जाने वाली मिसाइलों तक सीमित थीं। 1990 के दशक में ब्रिटेन ने वायु आधारित परमाणु हथियारों का इस्तेमाल बंद कर दिया था। लेकिन अब F-35 जैसे परमाणु सक्षम जेट के शामिल होने से देश की रणनीतिक क्षमता और अधिक लचीली तथा विविधतापूर्ण होगी।
NATO में परमाणु साझेदारी होगी और मजबूत
- NATO के मौजूदा परमाणु ढांचे में केवल अमेरिका, फ्रांस और ब्रिटेन के पास अपने स्वतंत्र परमाणु हथियार हैं।
- सात अन्य सदस्य देश अमेरिकी B61 बम ले जाने में सक्षम विमान उपलब्ध कराकर इस साझा मिशन में हिस्सा लेते हैं।
- अब ब्रिटेन इन 12 F-35 विमानों के ज़रिए हवाई परमाणु सहयोग को और अधिक मजबूत करेगा।
- NATO महासचिव मार्क रूटे ने इस फैसले की तारीफ करते हुए कहा कि यह “ब्रिटेन का मजबूत सहयोग और वैश्विक जिम्मेदारी निभाने का प्रमाण है।
यूक्रेन को मिलेंगी वायु रक्षा मिसाइलें
ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ने यह भी घोषणा की कि देश यूक्रेन को 350 वायु रक्षा मिसाइलें देगा।
इन मिसाइलों के लिए पैसा रूस की जब्त संपत्तियों से मिले ब्याज से जुटाया गया है, जिसकी कुल राशि करीब 70 मिलियन पाउंड (लगभग 950 करोड़ रुपये) है।
यह कदम रूस-यूक्रेन युद्ध में ब्रिटेन की मजबूत कूटनीतिक और सैन्य प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
रक्षा खर्च में ऐतिहासिक बढ़ोतरी की तैयारी
3.5% रक्षा (डिफेंस) पर
1.5% अन्य सुरक्षा और आपदा प्रबंधन पर
फिलहाल यूके अपनी GDP का 2.3% रक्षा पर खर्च करता है, जिसे 2027 तक 2.6% करने की योजना है। यह वैश्विक सुरक्षा संकटों के मद्देनज़र किया गया रणनीतिक निवेश है।

