New Delhi: भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक रिश्तों में इन दिनों हलचल तेज हो गई है। बुधवार से अमेरिका द्वारा भारत पर 50 प्रतिशत टैरिफ (शुल्क) लागू कर दिया गया है, जिससे भारत से अमेरिका को होने वाले निर्यात पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है। हालांकि, इस घटनाक्रम के बीच सरकारी सूत्रों ने स्पष्ट किया है कि भारत और अमेरिका के बीच व्यापार वार्ता पूरी तरह से बंद नहीं हुई है। दोनों देशों के बीच संवाद के दरवाजे अब भी खुले हैं और सकारात्मक संकेत मिल रहे हैं।
सरकारी सूत्रों का कहना है कि टैरिफ लागू होने के बावजूद दोनों देशों के बीच रचनात्मक संवाद बना हुआ है। भारत का दृष्टिकोण इस पूरे मुद्दे पर संतुलित है और प्राथमिकता यही है कि दोनों पक्षों के हितों को ध्यान में रखते हुए एक व्यवहारिक और दीर्घकालिक समाधान खोजा जाए।
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टैरिफ का असर सीमित, भारत का निर्यात विविध
हालांकि विशेषज्ञों और रिपोर्टों का अनुमान है कि टैरिफ की वजह से भारत से अमेरिका को होने वाला निर्यात 70 प्रतिशत तक घट सकता है, जो कि लगभग 55 से 60 अरब डॉलर का झटका हो सकता है। टेक्सटाइल, जेम्स एंड ज्वेलरी और सीफूड (विशेषकर झींगा) जैसे सेक्टर्स सबसे अधिक प्रभावित हो सकते हैं। लेकिन सरकारी सूत्र इस आशंका को बहुत बड़ा संकट मानने से इनकार कर रहे हैं। उनका कहना है कि भारत का निर्यात केवल अमेरिका पर निर्भर नहीं है और भारत पहले भी वैश्विक व्यापारिक संकटों से सफलतापूर्वक निपट चुका है।
अल्पकालिक चुनौती से अवसर तक
सूत्रों के मुताबिक, भारत सरकार इस टैरिफ संकट को अल्पकालिक चुनौती मानकर उसे दीर्घकालिक अवसर में बदलने की दिशा में काम कर रही है। भारत का ध्यान अब एक्सपोर्ट इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने, वैकल्पिक बाजारों की तलाश और नई व्यापारिक रणनीति पर केंद्रित है। सरकार की मंशा है कि ऐसे अवसरों का लाभ उठाकर भारतीय निर्यात को नई दिशा दी जाए।
नीतिगत स्तर पर संतुलन की आवश्यकता
सरकारी अधिकारियों का मानना है कि इस व्यापारिक तनाव से उबरने के लिए एक संतुलित और व्यावहारिक नीति बनाना जरूरी है। ऐसी नीति जो न सिर्फ भारत बल्कि अमेरिका के लिए भी फायदेमंद हो। फिलहाल दोनों देशों के बीच संवाद जारी है और इस विषय पर मंत्रालय स्तर पर भी वार्ताएं जारी रहने की उम्मीद है।
भारत आत्मनिर्भर
सरकार का दावा है कि भारत इस प्रकार की वैश्विक परिस्थितियों से निपटने के लिए आत्मनिर्भर और तैयार है। देश की नीति स्पष्ट है- किसी भी एक देश पर पूरी तरह निर्भर न रहते हुए विविधता लाना और आंतरिक क्षमताओं को मजबूत करना। आने वाले समय में सरकार द्वारा कुछ राहत पैकेज और एक्सपोर्ट सेक्टर के लिए नई घोषणाएं भी संभव हैं।