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Bhool Chuk Maaf Review: हंसी और इमोशन से भरी है राजकुमार राव की ‘भूल चूक माफ’ मूवी, जानिए और क्या है इस फिल्म में खास

'भूल चूक माफ़' एक रोमांटिक कॉमेडी फिल्म है, जिसकी कहानी बनारस की गलियों में बसी है। डाइनामाइट न्यूज़ की रिपोर्ट में जानिए और क्या है इस फिल्म में खास
Post Published By: Sapna Srivastava
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Bhool Chuk Maaf Review: हंसी और इमोशन से भरी है राजकुमार राव की ‘भूल चूक माफ’ मूवी, जानिए और क्या है इस फिल्म में खास

नई दिल्ली: राजकुमार राव एक बार फिर छोटे शहर के हीरो के तौर पर सिल्वर स्क्रीन पर लौटे हैं, और इस बार उनके साथ है टाइम लूप का दिलचस्प ट्विस्ट। ‘भूल चूक माफ़’ एक रोमांटिक कॉमेडी है, जिसकी कहानी बनारस की गलियों में बसी है। फिल्म में हास्य, भावनात्मक गहराई और फैंटेसी का खूबसूरत संतुलन देखने को मिलता है।

कैसी है फिल्म की कहानी

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, कहानी रंजन तिवारी (राजकुमार राव) के इर्द-गिर्द घूमती है, जो एक आम बनारसी लड़का है। उसकी ज़िंदगी उस वक्त पलट जाती है जब वह अपनी शादी की हल्दी के दिन एक टाइम लूप में फंस जाता है और बार-बार उसी दिन को जीने लगता है। हर बार वह कुछ नया सीखता है—कभी रिश्तों के बारे में, तो कभी खुद की गलतियों को सुधारने के तरीके के बारे में।

भूल चूक माफ (सोर्स-इंटरनेट)

फिल्म में वामिका गब्बी ‘तितली’ के किरदार में हैं और उनकी राजकुमार राव के साथ केमिस्ट्री सहज और दिल को छू लेने वाली है। हालांकि, असली मजा फिल्म में तब आता है जब रंजन के परिवार के सदस्यों के साथ के उलझावों को दिखाया जाता है। माता-पिता की आपसी नोकझोंक, शादी की तैयारियों में होने वाली हड़बड़ाहट, और इन सबके बीच रंजन की परेशानियों को हल्के-फुल्के हास्य में पिरोया गया है।

मनोरंजन से भरपूर है ये फिल्म

राजकुमार राव एक बार फिर साबित करते हैं कि वे छोटे शहर के किरदारों के चैंपियन हैं। उनका बनारसी लहजा, सटीक डायलॉग डिलीवरी और सहज कॉमिक टाइमिंग दर्शकों को बांधे रखने में सक्षम है। वामिका गब्बी भी ताजगी से भरपूर नजर आती हैं और उनकी स्क्रीन प्रेजेंस फिल्म में नई ऊर्जा भर देती है।

फिल्म के एक छोटे लेकिन प्रभावशाली रोल में संजय मिश्रा भी नजर आते हैं। उनका अभिनय खासकर क्लाइमेक्स में भावनात्मक गहराई जोड़ता है और फिल्म को एक मानवीय स्पर्श देता है। उनका किरदार भले ही छोटा है लेकिन यादगार है।

कमजोर स्क्रिप्टिंग का शिकार है ये फिल्म

बनारस को कैमरे की नजर से बेहद खूबसूरती से दिखाया गया है। फिल्म की शुरुआत में गलियों, घाटों और गानों के ज़रिए इस ऐतिहासिक शहर की एक आधुनिक लेकिन पारंपरिक झलक देखने को मिलती है। हालांकि, फिल्म का दूसरा भाग थोड़ी कमजोर स्क्रिप्टिंग का शिकार होता है। टाइम लूप का आइडिया रोचक है, लेकिन क्लाइमेक्स के दौरान इसे और बेहतर ढंग से पेश किया जा सकता था।

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