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Crime In Gaya: सफाईकर्मियों के नाम पर करोड़ों का घोटाला, पीड़ितों ने दी आत्महत्या की चेतावनी

रेलवे स्टेशन पर सफाई कार्य में लगे मजदूरों के नाम पर करोड़ों रुपये के जीएसटी घोटाले का सनसनीखेज मामला सामने आया है। पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की रिपोर्ट
Post Published By: Jaya Pandey
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Crime In Gaya: सफाईकर्मियों के नाम पर करोड़ों का घोटाला, पीड़ितों ने दी आत्महत्या की चेतावनी

गया: रेलवे स्टेशन पर सफाई कार्य में लगे मजदूरों के नाम पर करोड़ों रुपये के जीएसटी घोटाले का सनसनीखेज मामला सामने आया है। क्लीन इंडिया एजेंसी के अंतर्गत कार्यरत दो सफाईकर्मी छोटू राम और उमेश दास के नाम से फर्जी कंपनियां बनाकर अरबों रुपये का कारोबार दर्शाया गया। नतीजतन, जीएसटी विभाग ने इन गरीब मजदूरों पर ₹17 करोड़ और ₹13 करोड़ की पेनाल्टी थोप दी है।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के मुताबिक मामले की गंभीरता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि ये दोनों मजदूर साधारण सफाई कर्मचारी हैं जिन्हें यह तक नहीं पता कि जीएसटी क्या होता है। जीएसटी विभाग ने मेसर्स छोटू राम और मेसर्स उमेश दास के नाम पर नोटिस जारी किए हैं, जिससे दोनों परिवारों में कोहराम मचा हुआ है।

पीड़ितों ने लगाया आरोप

पीड़ितों ने आरोप लगाया है कि इस धोखाधड़ी के पीछे क्लीन इंडिया एजेंसी से जुड़े ठेकेदार दीपक सिंह उर्फ घंटी सिंह का हाथ है। मजदूरों का कहना है कि ठेकेदार ने उनसे आधार कार्ड, पैन कार्ड और बैंक विवरण यह कहकर एकत्र किए कि यह भविष्य निधि के लिए जरूरी हैं। बाद में इन्हीं दस्तावेजों का इस्तेमाल करके उनके नाम पर फर्जी कंपनियां बना दी गईं और भारी भरकम जीएसटी रिटर्न दाखिल किए गए।

विभाग से मिला पेनाल्टी नोटिस

छोटू राम और उमेश दास ने बताया कि यह घोटाला वर्ष 2021 से 2023 के बीच अंजाम दिया गया और उन्हें इसकी भनक तक नहीं थी। अब जब जीएसटी विभाग से पेनाल्टी नोटिस मिला तो उनके होश उड़ गए। कानूनी शिकंजे में फंसे ये मजदूर गंभीर मानसिक तनाव में हैं और उन्होंने सामूहिक आत्महत्या की चेतावनी दी है। उनका साफ कहना है कि अगर उनके खिलाफ दर्ज फर्जी मुकदमे वापस नहीं लिए गए तो वे खुद को खत्म करने को मजबूर होंगे। उन्होंने इस घोटाले की पूरी जिम्मेदारी ठेकेदार दीपक सिंह और उसके सहयोगी कृष्णा सिंह पर डाली है।

मजदूर के नाम पर कंपनी रजिस्टर

यह मामला न केवल एक संगठित धोखाधड़ी को उजागर करता है, बल्कि प्रशासनिक प्रणाली पर भी सवाल खड़े करता है। यह जांच का विषय है कि बिना उचित सत्यापन के किसी मजदूर के नाम पर कंपनी कैसे रजिस्टर की जा सकती है और बैंक लेन-देन व जीएसटी रिटर्न दाखिल कैसे किए जा सकते हैं।

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