पीलीभीत के 12 मजदूर किर्गिस्तान में फंसे हुए हैं और प्रताड़ना का सामना कर रहे हैं। जिला प्रशासन ने उनकी जानकारी गृह विभाग को भेज दी है ताकि बचाव अभियान शुरू किया जा सके। परिजनों ने भर्ती एजेंटों पर भारी वसूली, धोखाधड़ी और उत्पीड़न का आरोप लगाया है।

पीड़ित परिवार लगा रहें गुहार
Pilibhit: पीलीभीत जिले के 12 मजदूर पिछले तीन महीने से किर्गिस्तान में फंसे हुए हैं और गंभीर उत्पीड़न का सामना कर रहे हैं। उनके परिजन लगातार पुलिस, प्रशासन और सरकार से मदद की गुहार लगा रहे हैं। अब जिला प्रशासन ने इस मामले में उत्तर प्रदेश सरकार के गृह विभाग को विस्तृत तथ्यात्मक रिपोर्ट भेज दी है, जिससे इन मजदूरों की सुरक्षित वापसी की प्रक्रिया को तेज़ी मिलने की उम्मीद है।
पीलीभीत के जिलाधिकारी (डीएम) ज्ञानेंद्र सिंह ने बताया कि गृह विभाग की ओर से तथ्यात्मक विवरण मांगे जाने के बाद पुलिस अधीक्षक (एसपी) को जांच के निर्देश दिए गए थे। जांच के बाद सभी 12 मजदूरों की विस्तृत जानकारी एकत्र कर रिपोर्ट तैयार कर ली गई है। डीएम ने कहा कि किर्गिस्तान में फंसे सभी 12 व्यक्तियों की पूरी जानकारी सरकार को भेज दी गई है ताकि उनकी सुरक्षित वापसी की उचित प्रक्रिया शुरू की जा सके।
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फंसे हुए मजदूरों के परिजनों ने प्रशासन को बताया कि स्थानीय एजेंटों ने मजदूरों के साथ धोखाधड़ी की। दावा है कि मजदूरों से 2.5 लाख रुपये लेकर किर्गिस्तान भेजा गया और वहां उन्हें अलग-अलग शहरों में जबरन मजदूरी करने, अपर्याप्त भोजन मिलने, वापस लौटने न देने, शारीरिक प्रताड़ना और धमकी और बंधक जैसी परिस्थितियाँ का सामना करना पड़ रहा है। परिजनों का कहना है कि एजेंट अब मजदूरों की "रिहाई" और सुरक्षित वापसी के लिए दो से पांच लाख रुपये की अवैध वसूली कर रहे हैं।
मजदूरों के परिजन पिछले कई दिनों से प्रशासनिक अधिकारियों से मिलकर अपनी पीड़ा साझा कर रहे हैं। इस सप्ताह की शुरुआत में दर्जनों परिजन डीएम कार्यालय पहुंचे और अपनी शिकायत दर्ज कराई। एक परिजन ने बताया कि हमारे बच्चे तीन महीने से जान बचाने की भीख मांग रहे हैं, एजेंट लगातार धमका रहे हैं और उनके पास खाने तक को नहीं है।
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परिवारों ने बताया कि स्थानीय स्तर पर एक कॉलोनी में संचालित भर्ती एजेंसी ने 2.5 लाख रुपये लिए, 59 दिनों का वीजा बनवाया। फर्जी या भ्रमित करने वाले अनुबंध करवाए और मजदूरों को काम के नाम पर धोखे से विदेश भेज दिया। परिजनों का आरोप है कि मजदूरों को जानवरों की तरह पीटा जा रहा है और उन्हें बिना भोजन व दवाई के रखा जा रहा है।
एसपी अभिषेक यादव ने पुष्टि की है कि मामले की जांच नगर क्षेत्राधिकारी (सीओ) दीपक चतुर्वेदी को सौंपी गई है। परिजनों की ओर से दर्ज कराई गई शिकायत में एजेंटों की सूची भी शामिल है।
पीलीभीत प्रशासन का कहना है कि अब मामला सीधे गृह विभाग और उच्च स्तर पर पहुंच चुका है। रिपोर्ट मिलने के बाद सरकार किर्गिस्तान में भारतीय दूतावास और विदेश मंत्रालय के साथ मिलकर मजदूरों की वापसी की प्रक्रिया शुरू कर सकती है। डीएम ने कहा कि हमारी रिपोर्ट का उद्देश्य सरकार को सटीक जानकारी देना था, जिससे बचाव अभियान जल्द शुरू हो सके।