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Bihar Voters List: बिहार में वोटर लिस्ट सुधार का मामला पहुंचा सुप्रीम कोर्ट, चुनाव आयोग के आदेश को चुनौती, जानिये पूरा विवाद

बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले वोटर लिस्ट में संशोधन का मामला विवादों में बना हुआ है। इस मुद्दे पर जारी सियासी घमासान के बीच यह मामला अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। पढ़ें पूरी खबर
Post Published By: Subhash Raturi
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Bihar Voters List: बिहार में वोटर लिस्ट सुधार का मामला पहुंचा सुप्रीम कोर्ट, चुनाव आयोग के आदेश को चुनौती, जानिये पूरा विवाद

New Delhi: बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले वहां वोटर लिस्ट के पुनरीक्षण और सत्यापन के मामले को लेकर सियासी बवाल मचा हुआ है। भारत निर्वाचन आयोग ने हाल ही में मतदाता सूची से संबंधित नये निर्देश भी जारी कर दिये है, जिसका कई राजनीतिक और विश्लेषक विरोध कर रहे हैं। वोटर लिस्ट को लेकर जारी बवाल के बीच अब इस मामले पर एक बड़ा अपडेट सामने आया है।

बिहार में मतदाता सूची के सघन पुनरीक्षण अभियान का मामला अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। चुनावों पर काम करने वाली संस्था एसोसिएशन ऑफ डेमेक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दाखिल की है। इस याचिका में चुनाव आयोग के उस हालिया आदेश को रद्द करने की मांग की गई है, जिसमें आयोग ने बिहार में मतदाता सूची के विशेष सघन पुनरीक्षण अभियान कराने और इसके लिये 2003 को बेस ईयर मानने का आदेश जारी किया है।

एडीआर ने देश की शीर्ष अदालत में दाखिल अपनी याचिका में कहा है कि बिहार की मतदाता सूची के विशेष पुनरीक्षण के लिये चुनाव आयोग द्वारा 24 जून को जारी किया गया आदेश कानून का उल्लंघन है। आयोग का यह आदेश संविधान के अनुच्छेद 14,19,21,325 और 326 और जनप्रतिनिधित्व कानून 1950 और उसके रजिस्ट्रेशन ऑफ इलेक्ट्रोल्स रूल 1960 के नियम 21ए का उल्लंघन करता है।

एडीआर ने कहा है कि चुनाव आयोग ने अपने आदेश में वोटरों से नागरिकता साबित करने के लिए ऐसे दस्तावेजों की मांग की है, जिसके कारण कई लोग मतदान करने के वंचित हो सकते हैं। इस आदेश से देश में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने की प्रक्रिया कमजोर होगी, जो कि संविधान के मूल ढांचे का हिस्सा है।

एडीआर ने याचिका में चुनाव आयोग का बिहार में मतदाता सूची का विशेष सघन पुनरीक्षण करने के आदेश को रद्द करने की भी मांग की गई है।

क्या है विवाद
दरअसल, भारत निर्वाचन आयोग ने 24 जून को निर्देश जारी करते हुए कहा है कि बिहार की मतदाता सूची का विशेष पुनरीक्षण आगामी चुनावों से पहले किया जाएगा। इसके तहत वर्ष 2003 की वोटर लिस्ट को रेफरेंस बेस यानी आधार सूची माना जाएगा। यह सूची अब ECI की वेबसाइट पर भी सार्वजनिक रूप से उपलब्ध कराई गई है, जिससे नागरिक अपने नाम की पुष्टि कर सकें या गड़बड़ियों की जानकारी दे सकें।
आयोग का यह आदेश आते ही राजनीतिक दलों, नेताओं और विशेषज्ञों ने सवाल खड़े करने शुरू किये। सबसे बड़ा सवाल चुनाव आयोग द्वारा 22 साल पुरानी वोटर लिस्ट को पुनरीक्षण के लिए बेस मानने और नागरिकता के लिये दस्तावेजों को लेकर उठ रहे हैं।

हालांकि आयोग का कहना है कि उसके इस कदम से फर्जी मतदाताओं की पहचान हो सकेगी। एक ही व्यक्ति के कई जगह दर्ज नामों को हटाया जा सकेगा। इसके साथ ही मृत, प्रवासी या निष्क्रिय मतदाताओं के नाम हटाने में आसानी होगी और पारदर्शी चुनाव सुनिश्चित किए जा सकेंगे।

आयोग ने अपने इस आदेश के पीछे कई तर्क दिये लेकिन सियासी बवाल होता रहा और सवाल लगातार उठ रहे हैं। अब जबकि यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच चुका है, ऐसे में देखने वाली बात यह होगी की आने वाले समय में शीर्ष अदालत इस पर क्या फैसला करता है।

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