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Lakhimpur kheri News: पलिया में हुआ भीषण सड़क हादसा, तीन मासूम बच्चे हुए अनाथ गांव में पसरा मातम

एक दर्दनाक सड़क हादसे ने पलिया क्षेत्र के भानपुर गांव को गहरे शोक में डुबो दिया। घटना की जानकारी के लिए पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की रिपोर्ट
Post Published By: Jaya Pandey
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Lakhimpur kheri News: पलिया में हुआ भीषण सड़क हादसा, तीन मासूम बच्चे हुए अनाथ गांव में पसरा मातम

लखीमपुर खीरी: एक दर्दनाक सड़क हादसे ने पलिया क्षेत्र के भानपुर गांव को गहरे शोक में डुबो दिया। पलिया अहिरन के कोटेदार शैलेंद्र कुमार जायसवाल उर्फ गुड्डू की भीरा जाते समय हुए सड़क हादसे में मौत हो गई। हादसा बुधवार रात करीब 9:30 बजे गढ़ी फॉर्म के पास हुआ, जब वह एक शादी समारोह में शामिल होने के लिए जा रहे थे। कार के दुर्घटनाग्रस्त होते ही मौके पर कोहराम मच गया।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के मुताबिक, हादसे में गुड्डू जायसवाल की मौके पर ही मृत्यु हो गई, जबकि कार में सवार अन्य चार लोग गंभीर रूप से घायल हो गए। घायलों को तुरंत अस्पताल ले जाया गया, जहां उनका इलाज जारी है। इस हृदयविदारक दुर्घटना से पूरे क्षेत्र में शोक की लहर दौड़ गई है।

गांव में छाया मातम

सबसे दुखद पहलू यह है कि गुड्डू जायसवाल की पत्नी की भी केवल डेढ़ महीने पहले बीमारी के चलते मृत्यु हो गई थी। अब उनके निधन के बाद उनके तीन मासूम बच्चे – सोनाली जायसवाल, सूबी जायसवाल और देवास जायसवाल – पूरी तरह अनाथ हो गए हैं। यह खबर जैसे ही गांव में फैली, हर आंख नम हो गई और पूरे गांव में मातम छा गया।

परिवार पर टूटा विपत्तियों का पहाड़

गांव वाले स्तब्ध हैं कि एक ही परिवार पर इतनी जल्दी इतनी बड़ी दो विपत्तियां कैसे टूट पड़ीं। जिसने भी यह खबर सुनी, उसकी जुबान पर यही सवाल था – इन मासूम बच्चों की देखभाल अब कौन करेगा? उनके भविष्य का क्या होगा?

सामाजिक कार्यकर्ताओं ने की प्रशासन से मांग

गांव के बुजुर्गों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने प्रशासन से मांग की है कि इन अनाथ बच्चों के पालन-पोषण, शिक्षा और सुरक्षा के लिए तत्काल कदम उठाए जाएं। साथ ही, समाज के जागरूक नागरिकों से भी अपील की जा रही है कि वे इन बच्चों के भविष्य को संवारने के लिए आगे आएं।

प्रशासन और समाज दोनों की जिम्मेदारी

यह हादसा न सिर्फ एक परिवार की व्यक्तिगत त्रासदी है, बल्कि समाज के लिए भी एक चेतावनी है कि अनहोनी कभी भी और किसी के साथ भी हो सकती है। अब यह प्रशासन और समाज दोनों की जिम्मेदारी बनती है कि वे इन बेसहारा बच्चों के लिए एक सुरक्षित और संबलभरा भविष्य सुनिश्चित करें।

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