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बिजनौर: भादो दोयज पर बूढ़े बाबा मंदिर में उमड़ा आस्था का सैलाब, श्रद्धालुओं ने मांगी सुख-समृद्धि की दुआ

भादो महीने के दोयज (द्वितीया तिथि) के पावन अवसर पर बिजनौर जनपद स्थित बूढ़े बाबा मंदिर में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी। हजारों की संख्या में भक्तों ने मंदिर में पहुंचकर प्रसाद अर्पित किया और परिवार की खुशहाली, बच्चों की दीर्घायु, तथा स्वास्थ्य लाभ के लिए बाबा से प्रार्थना की।
Post Published By: Poonam Rajput
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बिजनौर: भादो दोयज पर बूढ़े बाबा मंदिर में उमड़ा आस्था का सैलाब, श्रद्धालुओं ने मांगी सुख-समृद्धि की दुआ

Bijnor:  भादो महीने के दोयज (द्वितीया तिथि) के पावन अवसर पर बिजनौर जनपद स्थित बूढ़े बाबा मंदिर में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी। हजारों की संख्या में भक्तों ने मंदिर में पहुंचकर प्रसाद अर्पित किया और परिवार की खुशहाली, बच्चों की दीर्घायु, तथा स्वास्थ्य लाभ के लिए बाबा से प्रार्थना की।

यह अवसर न केवल आध्यात्मिक उत्साह का प्रतीक बना, बल्कि मंदिर परिसर में आयोजित भव्य मेले ने भी श्रद्धालुओं को आकर्षित किया।

विशेष मान्यता: प्रसाद से होते हैं त्वचा रोग ठीक

बूढ़े बाबा मंदिर को लेकर जनमानस में एक विशेष धार्मिक और आयुर्वेदिक मान्यता जुड़ी हुई है। मान्यता है कि यहां चढ़ाया गया प्रसाद त्वचा संबंधी रोगों से मुक्ति दिलाता है। यही वजह है कि दूर-दूर से लोग यहां आते हैं, विशेषकर वे जो लंबे समय से चर्म रोग जैसी समस्याओं से पीड़ित होते हैं।

श्रद्धालु प्रसाद के रूप में सादा भोजन, बताशा, नारियल व मिश्री बाबा को अर्पित करते हैं और फिर उसे घर ले जाकर प्रसाद रूप में सेवन करते हैं या अपने शरीर पर लगाते हैं।

मेले में उमड़ा जनसैलाब

मंदिर परिसर के आसपास लगे भव्य मेले ने श्रद्धालुओं को न केवल धार्मिक रूप से जोड़े रखा, बल्कि सांस्कृतिक गतिविधियों की भी झलक दिखाई। मेले में झूले, खाने-पीने की दुकानें, हस्तशिल्प, और स्थानीय उत्पादों की बिक्री ने लोगों का ध्यान आकर्षित किया।

परिवार के साथ आए बच्चों ने मेले में खूब आनंद लिया। सुरक्षा व्यवस्था के मद्देनजर स्थानीय प्रशासन ने पुलिस बल तैनात किया था ताकि भीड़ नियंत्रण में रहे और किसी प्रकार की अव्यवस्था न हो।

गांवों और दूरदराज क्षेत्रों से पहुंचे श्रद्धालु

इस आयोजन की विशेष बात यह रही कि सिर्फ बिजनौर ही नहीं, बल्कि आसपास के गांवों, कस्बों और अन्य जिलों से भी श्रद्धालु यहां पहुंचे। कुछ लोग तो भादो महीने की इस विशेष तिथि पर पैदल यात्रा करते हुए मंदिर तक पहुंचे।

श्रद्धालुओं ने बताया कि वे हर साल यहां आकर प्रसाद चढ़ाते हैं और उन्हें मानसिक शांति तथा रोगों से राहत का अनुभव होता है।

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आस्था का प्रतीक बनता जा रहा है बूढ़े बाबा मंदिर

हर साल भादो दोयज पर लगने वाला यह मेला और पूजन आयोजन अब स्थानीय संस्कृति और धार्मिक विश्वास का एक अभिन्न हिस्सा बन चुका है। श्रद्धालुओं का कहना है कि बूढ़े बाबा का यह मंदिर आस्था और आरोग्यता का अनमोल संगम है।

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