Site icon Hindi Dynamite News

नहीं थम रहा रमेश और भूपेंद्र यादव के बीच वार-पलटवार का सिलसिला, जानें पूरा मामला

केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने ट्विटर पर शनिवार को उस समय एक दूसरे पर निशाना साधा जब यादव ने कांग्रेस की सरकारों द्वारा संसद की संयुक्त समिति को भेजे गए कई विधेयकों की सूची जारी की। पढ़िये पूरी खबर डाइनामाइट न्यूज़ पर
Post Published By: डीएन ब्यूरो
Published:
नहीं थम रहा रमेश और भूपेंद्र यादव के बीच वार-पलटवार का सिलसिला, जानें पूरा मामला

नयी दिल्ली: केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने ट्विटर पर शनिवार को उस समय एक दूसरे पर निशाना साधा जब यादव ने कांग्रेस की सरकारों द्वारा संसद की संयुक्त समिति को भेजे गए कई विधेयकों की सूची जारी की।

यादव ने कहा कि पूर्व पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश को वन (संरक्षण) संशोधन विधेयक, 2023 को संयुक्त समिति के पास भेजे जाने पर टिप्पणी करने के साथ ही यह देखना चाहिए कि कांग्रेस की सरकारों के समय कितने विधेयक संयुक्त समिति के पास भेजे गए। इस पर रमेश ने कहा कि मंत्री बहुत पहले के विधेयकों का उल्लेख कर रहे हैं, जबकि स्थायी समितियों का गठन 1993 में हुआ।

उल्लेखनीय है कि लोकसभा ने गत बुधवार को ‘वन (संरक्षण) संशोधन विधेयक, 2023’ को संसद की एक संयुक्त समिति को भेजने का निर्णय लिया।

रमेश और कई अन्य कांग्रेस नेताओं का आरोप है कि सरकार ऐसे कदम उठाकर स्थायी समितियों को दरकिनार कर रही है।

इसी संदर्भ में यादव ने कांग्रेस की सरकारों में संयुक्त समिति को भेजे गए कई विधेयकों की सूची जारी करते हुए ट्वीट किया, ‘‘जयराम रमेश कहते हैं कि वन संरक्षण संशोधन विधेयक को संयुक्त समिति के पास भेजना प्रक्रियाओं को कमजोर करना है। इसे (सूची) देखने से उन्हें यह जानने में मदद मिलेगी कि कांग्रेस की सरकारों की ओर से लोकसभा और राज्यसभा में पेश कितने विधेयकों को संयुक्त समिति के पास भेजा गया था।’’

इस पर पलटवार करते हुए रमेश ने कहा, ‘‘ स्थायी समितियां 31 मार्च, 1993 को अस्तित्व में आई थीं। मंत्री जी, आपसे बेहतर होमवर्क की उम्मीद थी।’’

इसके जवाब में पर्यावरण मंत्री ने कहा, ‘‘यह विस्तृत सूची होमवर्क का नतीजा है, जयराम जी। अगर आप इसे सही ढंग से देखने का प्रयास करेंगे तो आपको पता चलेगा कि कांग्रेस की सरकारों ने 1993 के बाद भी विधेयकों को संयुक्त समितियों के पास भेजना जारी रखा। सत्य के बारे में अच्छी चीज यह है कि यह आपके और कांग्रेस के आंखें मूंद लेने से बदलता नहीं है।’’

Exit mobile version