मायावती के चुनाव प्रचार पर प्रतिबंध रहेगा बरकरार, सुप्रीम कोर्ट से नहीं मिली राहत

चुनाव आयोग द्वारा चुनाव प्रचार रोके जाने वाले मामले में बसपा सुप्रीमो की ओर से सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दाखिल की गई। सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग के बैन पर सुनवाई करने की अर्जी पर इनकार कर दिया है। डाइनामाइट न्यूज़ की रिपोर्ट..

Post Published By: डीएन ब्यूरो
Updated : 16 April 2019, 12:04 PM IST
google-preferred

नई दिल्‍ली: लोकसभा में भड़काऊ और धार्मिक अपीलों का दौर चल पड़ा है। राजनीतिक दल किसी भी तरीके से मतदाता को प्रभावित करना चाह रहे हैं। ऐसा की कुछ प्रयास बसपा सुप्रीमो मायावती ने किया था लेकिन दांव उल्‍टा पड़ गया। चुनाव आयोग ने बीते दिन 48 घंटे तक चुनावी प्रचार पर रोक लगा दी थी। जिसके खिलाफ उन्‍होंने अपने मूल अधिकारों का हवाला देते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। लेकिन सुप्रीम कोर्ट के हथौड़े के बाद उन्‍हें बैरंग लौटा दिया गया है।

योगी और मायावती पर चुनाव आयोग का सख्‍त कदम, प्रचार पर लगी रोक

लोकसभा चुनाव 2019 के चुनाव प्रचार में लगी बसपा प्रमुख मायावती ने एक रैली में मुस्लिमों को एकजुट होकर गठबंधन को वोट करने की अपील की थी। इसी टिप्‍पणी पर जांच पड़ताल के बाद चुनाव आयोग ने उनके चुनाव प्रचार पर 48 घंटे की रोक लगा दी थी। मंगलवार को मायावती की ओर से इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दी गई थी। लेकिन सुप्रीम कोर्ट इसे खारिज कर दिया।

जयप्रदा पर बयान से पलटे आजम खान, बोले- मैने नहीं लिया किसी का नाम

मायावती की ओर से खड़े वकील दुष्यंत दवे ने कहा की चुनाव आयोग ने बिना मायावती को अपना पक्ष रखने का मौका दिए एकतरफा कार्रवाई करते हुए उनके चुनाव प्रचार पर 48 घंटे की रोक लगा दी है। इस आदेश को रद किया जाना चाहिए। हालांकि इस मुख्‍य न्‍यायाधीश ने कहा सुप्रीम कोर्ट को नहीं लगता इस संबंध में कोई आदेश दिया जाना चाहिए।

16 उम्‍मीदवारों का ऐलान.. देवरिया, जौनपुर और डुमरियागंज से भी बसपा प्रत्‍याशी घोषित

वहीं सुप्रीम कोर्ट ने टिप्‍पणी करते हुए कहा कि लगाता है चुनाव आयोग को उसका अधिकार वापस मिल गया है। उसने कई नेताओं के चुनाव प्रचार पर कुछ घंटों के लिए रोक लगा दी है।

लोकसभा चुनाव: बहुजन समाज पार्टी ने यूपी में अपने 5 उम्मीदवारों की सूची की जारी

गौरतलब है कि 48 घंटे की रोक लगाए जाने के बाद मायावती ने सोमवार को एक प्रेस कांन्‍फ्रेंस की थी। उन्‍होंने कहा था कि चुनाव आयोग ने मेरे ऊपर जिस तरह से रोक लगाई है वह भारत के लोगों के मूलभूत अधिकार का हनन है। आयोग का फैसला भारत के लोकतंत्र में काला दिवस के रूप में जाना जाएगा। चुनाव आयोग ने मुझे चुप कराकर गरीबों की आवाज को चुप कराया है। भारत की जनता भी चुनाव आयोग के इस फैसले से खुश नहीं है।

No related posts found.