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विपक्ष ने जम्मू-कश्मीर में जल्द चुनाव कराने और पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल करने की मांग उठाई

विपक्षी दलों ने अनुच्छेद 370 को निष्प्रभावी बनाने के सरकार के फैसले को बरकरार रखने संबंधी उच्चतम न्यायालय के आदेश के आलोक में मंगलवार को लोकसभा में केंद्र सरकार से आग्रह किया कि जम्मू-कश्मीर का पूर्ण राज्य का दर्जा जल्द बहाल करके विधानसभा चुनाव करवाए जाएं। पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट
Post Published By: डीएन ब्यूरो
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विपक्ष ने जम्मू-कश्मीर में जल्द चुनाव कराने और पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल करने की मांग उठाई

नयी दिल्ली: विपक्षी दलों ने अनुच्छेद 370 को निष्प्रभावी बनाने के सरकार के फैसले को बरकरार रखने संबंधी उच्चतम न्यायालय के आदेश के आलोक में मंगलवार को लोकसभा में केंद्र सरकार से आग्रह किया कि जम्मू-कश्मीर का पूर्ण राज्य का दर्जा जल्द बहाल करके विधानसभा चुनाव करवाए जाएं।

दूसरी तरफ, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने कहा कि केंद्र में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में सरकार बनने के बाद से जम्मू-कश्मीर बदला हुआ नजर आ रहा है तथा वहां उन विषयों का समाधान हुआ है जो पहले की सरकारें नहीं कर सकी थीं।

गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (दूसरा संशोधन) विधेयक, 2023 और संघ राज्य क्षेत्र शासन (सशोधन) विधेयक, 2023 को चर्चा और पारित कराने के लिए सदन में रखा।

चर्चा की शुरुआत करते हुए भाजपा के जुगल किशोर शर्मा ने कहा कि मोदी सरकार में महिलाओं के लिए लगातार फैसले किए गए हैं और यह विधेयक भी उनमें से एक है।

उनका कहना था, ‘‘अब जम्मू-कश्मीर बदला हुआ नजर आ रहा है। प्रदेश के लोगों से जुड़े विषयों का एक-एक करके समाधान हो रहा है। पहले की सरकारें इन समस्याओं का समाधान कर सकती थीं, लेकिन नहीं किया।’’

शर्मा ने कहा कि जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (दूसरा संशोधन) विधेयक का लाभ आने वाले समय में जम्मू-कश्मीर की महिलाओं को मिलेगा।

चर्चा में भाग लेते हुए कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि विपक्ष ने सुझाव दिया तो सरकार को ज्ञान आया और महिला आरक्षण से संबंधित विधेयक लाया गया है।

उन्होंने कहा, ‘‘जम्मू-कश्मीर में चुनाव कराना जरूरी है। उच्चतम न्यायालय ने सितंबर, 2024 तक चुनाव कराने का निर्देश दिया है। चुनाव में देर नहीं करनी चाहिए। लोकसभा चुनाव के साथ जम्मू कश्मीर में चुनाव कराना चाहिए। गृह मंत्री अमित शाह ने सदन के अंदर वादा किया था कि चुनाव होंगे और पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल होगा।’’

उन्होंने सवाल किया कि चुनाव से पहले जम्मू कश्मीर का पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल क्यों नहीं हो सकता?

चौधरी ने कहा, ‘‘गृह मंत्री जी सदन के अंदर यह घोषणा कर दीजिए कि जम्मू कश्मीर में विधानसभा चुनाव सितंबर से पहले होंगे।’’

उन्होंने दावा किया कि जम्मू-कश्मीर में सबकुछ सामान्य नहीं है।

कांग्रेस नेता ने कहा, ‘‘अमित शाह जी कहते हैं कि हम पीओके को अपने नियंत्रण में लाएंगे…मान लीजिए कांग्रेस नहीं कर पाई, लेकिन आप तो बलवान हो, पहलवान हो, पीओके को भारत के नियंत्रण में लाइए।’’

उन्होंने कटाक्ष करते हुए सवाल किया, ‘‘आप पीओके को कब (भारत के नियंत्रण में) लाएंगे, अक्साई चिन को कब लाएंगे?’’

चौधरी ने कहा कि गृह मंत्री को चुनाव से पहले यह करके दिखाना चाहिए।

गृह मंत्री अमित शाह ने चौधरी पर पलटवार करते हुए कहा, ‘‘यह बताएं कि पीओके और अक्साई चिन किसके शासन में गए थे?’’

उन्होंने श्यामा प्रसाद मुखर्जी को लेकर कुछ दावे किए जिसके बाद दोनों पक्षों के बीच नोकझोंक हुई।

चर्चा में भाग लेते हुए तृणमूल कांग्रेस के सौगत राय ने कहा, ‘‘उच्चतम न्यायालय के फैसले (अनुच्छेद 370 पर) से हम दुखी हैं।’’

उन्होंने दावा किया कि नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला और जम्मू-कश्मीर के कुछ अन्य नेताओं का कहना है कि उन्हें नजरबंद किया गया है।

इस पर गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने कहा कि पहले ही कह दिया गया था कि किसी को भी नजरबंद नहीं किया गया है, ऐसे में सौगत राय को सदन एवं देश को गुमराह नहीं करना चाहिए।

लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने राय से कहा कि आप अनुच्छेद 370 पर उच्चतम न्यायालय के निर्णय को लेकर अपनी पार्टी का रुख बताइए।

इस पर राय ने कहा, ‘‘मेरी पार्टी ने कहा है कि अमित शाह जो बोलें, उसका उल्टा करो।’’

इसके बाद शाह ने तंज कसते हुए कहा, ‘‘मैं कभी बोलूंगा नहीं, लेकिन क्या अगर कह दूंगा कि तृणमूल कांग्रेस जीतेगी तो क्या वो हार जाएगी।’’

सौगत राय ने कहा कि गृह मंत्री को बताना चाहिए कि पीओके कब भारत के नियंत्रण में लेंगे।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार उन्होंने श्यामा प्रसाद मुखर्जी का उल्लेख करते हुए कहा, ‘‘कश्मीर की जेल में उनका निधन हुआ, उसका हमें दुख है।’’

राय ने दावा किया कि मुखर्जी आजादी की लड़ाई में कभी एक दिन के लिए भी जेल नहीं गए थे।

अमित शाह ने कहा कि श्यामा प्रसाद मुखर्जी नहीं होते तो पश्चिम बंगाल आज भारत का हिस्सा नहीं होता।

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