Akhilesh Yadav: यूपी में दलित वोट बैंक पर अखिलेश यादव की बड़ी सेंधमारी की कोशिश, लिये ये बड़े फैसले

डीएन ब्यूरो

उत्तर प्रदेश में होने वाले विधान सभा चुनाव में इस बार बड़े पैमाने पर वोटों का धुव्रीकरण देखने को मिल सकता है और इस खेल में सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव फिलहाल सबसे आगे दिख रहे है। अखिलेश ने दलित वोट बैंक में सेंधमारी के लिये एक के बाद एक बड़े फैसले ले रहे हैं। पढिये डाइनामाइट न्यूज की स्पेशल रिपोर्ट

यूपी में अखिलेश का जनसंपर्क जोरों पर
यूपी में अखिलेश का जनसंपर्क जोरों पर


लखनऊ: उत्तर प्रदेश में विधान सभा चुनाव होने के लिये एक साल से भी कम वक्त रह गया है। इस बार यूपी विधान सभा चुनाव में बड़े पैमाने पर वोटों का धुव्रीकरण देखने को मिल सकता है और जीत के लिये बेहद जरूरी इस खेल में मुख्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी सबसे आगे दिखाई दे रही है। यूपी के पूर्व सीएम और सपा के राष्ट्रीय अध्य़क्ष दलित अखिलेश यादव ने दलित वोट बैंक में बड़ी सेंधमारी के लिये हाल ही में एक के बाद ताबड़तोड़ बड़े फैसले लिये हैं। इन फैसलों से सपा के धुर विरोधी भी सकते में हैं।

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दलित वोट बैंक साधने में जुटे अखिलेश यादव ने दो दिन पहले ही उत्तर प्रदेश में दलित दीवाली मनाने की बड़ी घोषणा की थी। इस घोषणा के शीघ्र बाद अखिलेश यादव ने आज सामाजिक न्याय और समतामूलक लक्ष्यों के मद्देनजर यूपी में समाजवादी पार्टी द्वारा ‘बाबा साहेब वाहिनी’ के गठन की घोषणा की है। अखिलेश यादव के ये दोनों फैसले बताते हैं कि सपा का दलितों से सीधा जुड़ाव आने वाले वक्त में वोटों के रूप में उनकी पार्टी को बड़ा फायदा दे सकते हैं।

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सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने शनिवार को एक ट्वीट करके ‘बाबा साहेब वाहिनी’ के गठन की घोषणा की। अखिलेश ने लिखा कि संविधान निर्माता आदरणीय बाबा साहेब डॉ. भीमराव अम्बेडकर जी के विचारों को सक्रिय कर असमानता-अन्याय को दूर करने व सामाजिक न्याय के समतामूलक लक्ष्य की प्राप्ति के लिए, हम उनकी जयंती पर जिला, प्रदेश व देश के स्तर पर सपा की ‘बाबा साहेब वाहिनी’ के गठन का संकल्प लेते हैं। 

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उत्तर प्रदेश की राजनीति में अब तक अधिकांश दलित वोट बैंक पर बसपा का कब्जा होने की धारणा रही है लेकिन बीते कुछ समय से मायावती के खास सिपहसलार और बसपा के कुछ कद्दावर नेताओं ने जिस तरह से अखिलेश यादव की मौजूदगी में सपा का दामन थामा, उसने इस धारणा को कमजोर कर दिया है। पिछले कुछ समय से बसपा सुप्रीमो मायावती की बढ़ती निष्क्रियता और अखिलेश की तेज होती सक्रियता भी दलितों के बीच समाजवादी पार्टी को सुसगंठित तरीके से सुस्थापित करती जा रही है। इन सब वजहों ने भी सपा के खेल को और आसान बना दिया है और अब अखिलेश ने इन नई घोषणाओं के साथ दलित वोट बैंक में जबरदस्त सेंधमारी करने का काम किया है।

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इसमें कोई दो राय नहीं है कि हर चुनाव में होने वाले वोटों के धुव्रीकरण का पैटर्न यूपी विधान सभा चुनाव में इस बार चरम पर देखने को मिल सकता है और वोट बैंक कब्जाने के इस खेल में अखिलेश यादव उक्त सभी कारणों से सबसे आगे रह सकते हैं।      










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