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इतिहास के पाठयक्रमों में बदलाव को लेकर आईएचसी ने जताई चिंता, कही ये बात

भारतीय इतिहास कांग्रेस (आईएचसी) ने हाल ही में इतिहास की पाठ्यपुस्तकों और पाठ्यक्रम में बदलाव लाने पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए कहा है कि मुगल राजवंश के आख्यान को पूरी तरह से हटाने का निर्णय आधुनिक पीढ़ी को उस युग के ज्ञान से वंचित करेगा, जिसने भारत को राजनीतिक एकता दी। पढ़िये पूरी खबर डाइनामाइट न्यूज़ पर
Post Published By: डीएन ब्यूरो
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इतिहास के पाठयक्रमों में बदलाव को लेकर आईएचसी ने जताई चिंता, कही ये बात

अलीगढ़: भारतीय इतिहास कांग्रेस (आईएचसी) ने हाल ही में इतिहास की पाठ्यपुस्तकों और पाठ्यक्रम में बदलाव लाने पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए कहा है कि मुगल राजवंश के आख्यान को पूरी तरह से हटाने का निर्णय आधुनिक पीढ़ी को उस युग के ज्ञान से वंचित करेगा, जिसने भारत को राजनीतिक एकता दी।

सोमवार को जारी एक बयान में भारतीय इतिहास कांग्रेस के अध्यक्ष प्रोफेसर केसवन वेलुथाट और सचिव प्रोफेसर नदीम अली रेजावी ने कहा कि उन सभी विद्वानों ने जो 'तर्कसंगत वैज्ञानिक ज्ञान' को महत्व देते हैं, इस दृष्टिकोण को त्रुटिपूर्ण और अस्वीकार्य पाया है।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) ने मुगल साम्राज्य से संबंधित अध्यायों को हटाकर कक्षा 12वीं के इतिहास के पाठ्यक्रम में संशोधन किया है। इतिहास की पाठ्यपुस्तक में मुगल दरबारों के अध्यायों को एनसीईआरटी द्वारा संशोधित संस्करण में हटा दिया गया है। इसके परिणामस्वरूप सीबीएसई, उत्तर प्रदेश और एनसीईआरटी पाठ्यक्रम का पालन करने वाले अन्य राज्य बोर्डों सहित सभी बोर्डों के पाठ्यक्रम में बदलाव होंगे।

इतिहास कांग्रेस के पदाधिकारियों ने अपने बयान में कहा है कि मुगल राजवंश के आख्यान को पूरी तरह से हटाने का निर्णय आधुनिक पीढ़ी को उस युग के ज्ञान से वंचित करेगा, जिसने भारत को राजनीतिक एकता दी।

उन्होंने कहा कि इस पीढ़ी को सम्राट अकबर की धार्मिक सहिष्णुता की नीति और सांस्कृतिक और बौद्धिकता के महत्व को समझने से वंचित करेगा।

उन्‍होंने कहा कि यह एक ऐसा युग था जो कबीर तुलसीदास और अबुल फ़ज़ल जैसे दार्शनिक दिग्गजों के आधुनिकतावादी और उदार विचारों से जुड़ा हुआ है।

बयान में यह भी कहा गया है कि इतिहास के प्रति इस तरह का संकीर्ण सांप्रदायिक दृष्टिकोण इस युग के किसी भी आधुनिक प्रगतिशील समाज के विचार के विपरीत है।

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