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केंद्र ने 30 सैन्यकर्मियों के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी देने से किया इनकार, जानिये पूरा मामला

केंद्र ने थल सेना के उन 30 जवानों पर मुकदमा चलाने की मंजूरी देने से इनकार कर दिया है जो दिसंबर 2021 में नगालैंड के मोन जिले के ओटिंग में एक नाकाम उग्रवादी हमले में 13 नागरिकों के मारे जाने की घटना में कथित रूप से शामिल थे। पढ़िये पूरी खबर डाइनामाइट न्यूज़ पर
Post Published By: डीएन ब्यूरो
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केंद्र ने 30 सैन्यकर्मियों के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी देने से किया इनकार, जानिये पूरा मामला

कोहिमा: केंद्र ने थल सेना के उन 30 जवानों पर मुकदमा चलाने की मंजूरी देने से इनकार कर दिया है जो दिसंबर 2021 में नगालैंड के मोन जिले के ओटिंग में एक नाकाम उग्रवादी हमले में 13 नागरिकों के मारे जाने की घटना में कथित रूप से शामिल थे। एक अधिकारी ने यह जानकारी दी।

सीआईडी नगालैंड की पुलिस महानिरीक्षक (आईजीपी) रूपा एम ने बृहस्पतिवार को यहां एक विज्ञप्ति में कहा कि नगालैंड पुलिस ने मोन जिला एवं सत्र अदालत को यह जानकारी दी है, जहां कानून के अनुसार आरोप पत्र दायर किया गया है।

उन्होंने कहा, 'सक्षम प्राधिकारी (सैन्य मामलों के विभाग, रक्षा मंत्रालय, भारत सरकार) ने सभी 30 आरोपियों के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी देने से इनकार कर दिया है।'

विज्ञप्ति में कहा गया है कि सशस्त्र बल विशेषाधिकार कानून की धारा छह और दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 197 (2) के तहत कर्तव्यों का निर्वहन करते समय उनकी किसी भी कार्रवाई के लिए सुरक्षा बलों के किसी भी कर्मी के खिलाफ मुकदमा शुरू करने के लिए भारत सरकार की मंजूरी अनिवार्य है।

रूपा ने कहा कि इस मामले में नगालैंड पुलिस ने 30 मई, 2022 को आरोप पत्र दायर किया था।

सेना ने इस घटना को लेकर 'कोर्ट ऑफ इंक्वायरी' का गठन किया था, लेकिन उसके निष्कर्षों को सार्वजनिक नहीं किया गया है।

चार दिसंबर, 2021 को मोन जिले में सुरक्षाबलों की कथित गोलीबारी में 13 आम लोगों की मौत हो गई थी।

घटना के अगले ही दिन राज्य के गृह विभाग ने एसआईटी (विशेष जांच दल) का गठन किया था।

आईजीपी ने कहा कि एसआईटी ने 24 मार्च, 2022 को जांच पूरी करने के बाद रक्षा मंत्रालय के सैन्य मामलों के विभाग से इस घटना में शामिल आरोपी कर्मियों के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी मांगी थी।

रूपा ने डाइनामाइट न्यूज़ से कहा कि आरोपियों की पत्नियों ने मामले की कार्यवाही पर रोक लगाने के लिए उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया और न्यायालय ने 19 जुलाई, 2022 के एक अंतरिम आदेश में मामले में आगे की कार्यवाही पर रोक लगा दी।

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