पौष अमावस्या 2025: साल की आखिरी अमावस्या पर क्या करें और क्या न करें? देखें पितरों का आशीर्वाद पाने के खास उपाय

पौष अमावस्या साल की आखिरी अमावस्या मानी जाती है, जो पितृ तर्पण, स्नान-दान और मंत्र साधना के लिए अत्यंत फलदायी है। जानिए पौष अमावस्या पर क्या करें, क्या न करें और पितरों का आशीर्वाद पाने के खास धार्मिक उपाय।

Post Published By: ईशा त्यागी
Updated : 19 December 2025, 2:34 PM IST

New Delhi: हिंदू धर्म में हर दिन और हर तिथि का अपना विशेष धार्मिक महत्व होता है। इन्हीं में से एक है अमावस्या तिथि, जिसे विशेष रूप से पितरों को समर्पित माना गया है। मत्स्य पुराण के अनुसार अमावस्या का नाम पितृगणों में “अमावसु” नामक पितर के नाम पर पड़ा है। यही कारण है कि यह तिथि श्राद्ध, तर्पण और पितृ दोष शांति के लिए सबसे श्रेष्ठ मानी जाती है।

आज पौष अमावस्या है, जो साल की आखिरी अमावस्या भी मानी जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन स्नान, दान, दीपदान और मंत्र साधना करने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है और पितरों का आशीर्वाद बना रहता है।

पौष अमावस्या पर क्या करें

पौष अमावस्या के दिन स्नान और दान का विशेष महत्व है। यदि संभव हो तो किसी नदी, सरोवर या तीर्थ स्थल पर जाकर स्नान करें। जो लोग तीर्थ पर नहीं जा सकते, वे घर पर ही स्नान के जल में गंगाजल मिलाकर स्नान करें। इस दिन काले तिल का दान विशेष रूप से शुभ माना जाता है। मान्यता है कि अमावस्या पर काले तिल का दान करने से पितृ दोष शांत होता है और पितरों की विशेष कृपा प्राप्त होती है।

इसके साथ ही काले वस्त्र, काला कंबल, काला छाता, गुड़ और अन्न का दान भी पुण्यदायी माना गया है। दान करते समय इस बात का विशेष ध्यान रखें कि मन में अहंकार न आए और न ही अपने दान का दिखावा करें। शुद्ध मन और श्रद्धा से किया गया दान ही फलदायी होता है।

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अमावस्या तिथि मंत्र साधना के लिए भी अत्यंत शुभ मानी जाती है। इस दिन भगवान शिव, शनिदेव और शक्ति की उपासना करने से मानसिक शांति और जीवन की बाधाएं दूर होती हैं। इसके अलावा, दीपदान का भी विशेष महत्व है। शाम के समय पीपल के वृक्ष के नीचे और घर की दक्षिण दिशा में यम देवता के नाम से सरसों के तेल का दीपक जलाएं। इससे अकाल मृत्यु का भय दूर होता है और पितरों की आत्मा को शांति मिलती है।

पौष अमावस्या पर क्या न करें

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, अमावस्या के दिन कुछ कार्यों से बचना चाहिए। इस दिन देर तक सोना अशुभ माना जाता है। पुराने, फटे या गंदे कपड़े पहनने से भी बचना चाहिए। अमावस्या के दिन वाद-विवाद, झगड़ा या किसी का अपमान करने से बचें, विशेषकर गरीब, कमजोर और जरूरतमंद व्यक्ति का। इस तिथि पर दिन में सोना वर्जित माना गया है।

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इसके अलावा, अमावस्या के दिन किसी को धन उधार न दें, तामसिक भोजन जैसे मांस-मदिरा का सेवन न करें और निर्जन या अंधेरे स्थानों पर जाने से बचें। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन बाल और नाखून काटना भी अशुभ माना जाता है।

पितरों के आशीर्वाद का दिन

पौष अमावस्या सिर्फ एक तिथि नहीं, बल्कि आत्मशुद्धि, दान और पितृ स्मरण का पावन अवसर है। इस दिन श्रद्धा और नियमों के साथ किए गए छोटे-छोटे उपाय भी जीवन में सकारात्मक ऊर्जा, सुख-शांति और पितरों का आशीर्वाद दिला सकते हैं।

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Published : 
  • 19 December 2025, 2:34 PM IST

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