New Delhi: देशभर में आज यानी 20 अक्टूबर 2025, सोमवार को दीपों का महापर्व ‘दिवाली’ बड़े ही श्रद्धा, उमंग और उल्लास के साथ मनाया जा रहा है। हिंदू पंचांग के अनुसार, दिवाली कार्तिक मास की अमावस्या तिथि को आती है और इस दिन माता लक्ष्मी, भगवान गणेश और धन के देवता कुबेर की पूजा का विशेष महत्व होता है। मान्यता है कि इस दिन विधिवत पूजन करने से जीवन में धन, सुख, समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
पूरे देश में दीपों की रौशनी से वातावरण जगमगा रहा है। लोग घरों को दीपों, झालरों और रंगोली से सजाकर माता लक्ष्मी के आगमन के लिए तैयारियां कर चुके हैं। बाजारों में रौनक है और घरों में मिठाइयों की खुशबू बसी हुई है।
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लक्ष्मी पूजन का महत्व और विधि
दिवाली पर लक्ष्मी पूजन विशेष रूप से प्रदोष काल में किया जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन लक्ष्मी माता अपने भक्तों के घर पधारती हैं और जहां साफ-सफाई, श्रद्धा और भक्ति होती है, वहां स्थायी रूप से वास करती हैं।
लक्ष्मी पूजन विधि:
- सबसे पहले घर की साफ-सफाई करें और मुख्य द्वार पर रंगोली व दीप सजाएं।
- पूजन स्थल पर लाल या पीले कपड़े का आसन बिछाकर उस पर माता लक्ष्मी, भगवान गणेश और कुबेर जी की मूर्तियां या चित्र स्थापित करें।
- देवी लक्ष्मी को कमलगट्टा, सूखा धनिया, सुपारी, इत्र, लौंग, इलायची और गेंदे के फूल अर्पित करें।
- देवी-देवताओं को पंचामृत स्नान कराकर अक्षत, हल्दी, रोली और चंदन से पूजन करें।
- दीपक जलाकर लक्ष्मी माता की कुमकुम और पुष्पों से आरती करें और श्री लक्ष्मी चालीसा या लक्ष्मी अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र का पाठ करें।
भगवान कुबेर को प्रसन्न करने के विशेष उपाय
दिवाली पर भगवान कुबेर की पूजा करने से घर में धन की स्थिरता बनी रहती है।
- धनिया: सूखा धनिया या पंजीरी अर्पण करने से आर्थिक संकट दूर होते हैं।
- कमलगट्टा: लक्ष्मी और कुबेर दोनों को प्रिय, इसे अर्पित करने से धन की वृद्धि होती है।
- इत्र व फूल: भगवान कुबेर को इत्र व गेंदे के फूल अत्यंत प्रिय हैं। वातावरण पवित्र और ऐश्वर्यपूर्ण बनता है।
- सुपारी और लौंग: ये शुभता और सुरक्षा के प्रतीक माने जाते हैं।
- इलायची और दूर्वा: इलायची सौभाग्य और मीठे संबंधों की प्रतीक है, वहीं दूर्वा नकारात्मक ऊर्जा को दूर करती है।
लक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त
प्रदोष काल:
- शाम 5:36 बजे से रात 8:07 बजे तक
- यह समय देवी लक्ष्मी के पूजन के लिए सर्वोत्तम माना जाता है।
स्थिर वृष लग्न:
- 6:59 बजे से 8:56 बजे तक
- स्थिर लग्न में लक्ष्मी पूजन करने से माता लक्ष्मी का वास स्थायी रूप से घर में होता है।
दिवाली के चौघड़िया मुहूर्त
- चर चौघड़िया: प्रातः 5:36 से 7:10 बजे तक
- लाभ चौघड़िया: 10:19 से 11:53 बजे तक
- रात्रि के शुभ चौघड़िया: 1:28 से 6:11 बजे तक
20 अक्टूबर को अमावस्या तिथि, प्रदोष काल, वृष लग्न और शुभ चौघड़िया का संयोग बन रहा है, जो लक्ष्मी पूजन को और अधिक फलदायी बना देता है।
दिवाली केवल दीपों का उत्सव नहीं, बल्कि आध्यात्मिक प्रकाश, धन, स्वास्थ्य और समृद्धि का पर्व है। आज के दिन पूरे मन से देवी लक्ष्मी और भगवान कुबेर का पूजन करने से न केवल भौतिक संपत्ति में वृद्धि होती है, बल्कि मानसिक और पारिवारिक शांति भी प्राप्त होती है। इस दिवाली पर शुभ मुहूर्त में विधिवत पूजा करें, ईमानदारी से काम करें और अपने जीवन को रोशनी से भर दें। आप सभी को दीपावली की ढेरों शुभकामनाएं!