ब्राजील के राष्ट्रपति लूला डी सिल्वा ने वेनेजुएला में अमेरिकी सैन्य दबाव पर कड़ी प्रतिक्रिया दी और चेतावनी दी कि यह पूरे क्षेत्र के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। उन्होंने शांति और बातचीत के रास्ते को प्राथमिकता देने का आह्वान किया। लूला ने यह भी कहा कि सैन्य हस्तक्षेप से क्षेत्रीय शांति को नुकसान पहुंचेगा।

लूला डी सिल्वा (Img Source: Google)
Brazil: ब्राजील के राष्ट्रपति लूला डी सिल्वा ने वेनेजुएला में किसी भी तरह की सशस्त्र सैन्य दखलअंदाजी को लेकर कड़ी चेतावनी दी है। शनिवार को मर्कोसुर और सहयोगी देशों के 67वें शिखर सम्मेलन में बोलते हुए लूला ने कहा कि वेनेजुएला के खिलाफ सैन्य ताकत का इस्तेमाल पूरे लैटिन अमेरिकी क्षेत्र के लिए घातक साबित हो सकता है। उन्होंने इस मुद्दे पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय से गंभीर चिंता व्यक्त की और अमेरिका द्वारा वेनेजुएला पर सैन्य दबाव बनाए जाने की आलोचना की।
लूला डी सिल्वा ने साफ शब्दों में कहा कि, "दक्षिण अमेरिका के लिए शांति और समृद्धि ही एकमात्र सही रास्ता है।" उन्होंने यह भी बताया कि वेनेजुएला में सैन्य हस्तक्षेप से न केवल इस क्षेत्र को मानवीय आपदा का सामना करना पड़ेगा, बल्कि यह पूरी दुनिया के लिए एक खतरनाक उदाहरण बनेगा। ब्राजील के राष्ट्रपति ने इस चेतावनी में अंतरराष्ट्रीय कानून की सीमाओं की भी बात की और कहा कि ये सीमाएं अब पूरी तरह से परीक्षण के दौर से गुजर रही हैं।
लूला डी सिल्वा ने यह भी कहा कि अमेरिका की धमकियां, नौसैनिक नाकेबंदी और वेनेजुएला पर सैन्य मौजूदगी बेहद चिंताजनक हैं। उन्होंने इसे बाहरी क्षेत्रीय शक्ति का सैन्य हस्तक्षेप बताया, जिसे लैटिन अमेरिका के कई देश आपत्ति की भावना से देख रहे हैं। उनका कहना था कि ये कदम पूरी लैटिन अमेरिकी राजनीति और क्षेत्रीय समृद्धि के लिए एक बड़ा खतरा साबित हो सकते हैं। लूला ने यह भी बताया कि वेनेजुएला के मामले में अमेरिका की कार्रवाई से पूरी दुनिया पर नकारात्मक असर पड़ेगा।
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ब्राजील के राष्ट्रपति लूला डी सिल्वा ने यह भी खुलासा किया कि उन्होंने हाल ही में अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से फोन पर बातचीत की थी। इस दौरान लूला ने ट्रंप से यह कहा था कि सैन्य टकराव से बेहतर बातचीत और समझौते का रास्ता है, जो न केवल कम नुकसानदेह होगा बल्कि शांतिपूर्ण समाधान की ओर भी बढ़ाएगा। उन्होंने यह बात भी कही कि बातचीत के रास्ते से वेनेजुएला के मुद्दे का हल निकाला जा सकता है।
गौरतलब है कि अमेरिका ने वेनेजुएला आने-जाने वाले तेल टैंकरों पर पूरी तरह से रोक लगा दी है। इसके साथ ही अमेरिका ने वेनेजुएला के राष्ट्रपति निकोलस मादुरो की सरकार को विदेशी आतंकवादी संगठन घोषित कर दिया है। अमेरिकी राष्ट्रपति ने एक इंटरव्यू में यह भी कहा था कि अमेरिका अब भी अतिरिक्त तेल टैंकरों को जब्त करना जारी रखेगा।
इससे पहले, कई लैटिन अमेरिकी देशों और क्षेत्रीय संगठनों ने अमेरिका के इस कदम का विरोध किया है और संयुक्त राष्ट्र और अंतरराष्ट्रीय समुदाय से इस मुद्दे में हस्तक्षेप कर शांति का रास्ता निकालने की मांग की है। इन देशों का मानना है कि सैन्य दबाव और एकतरफा कार्रवाई से क्षेत्रीय शांति को खतरा हो सकता है।
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लूला डी सिल्वा के बयान से यह साफ जाहिर होता है कि ब्राजील, और लैटिन अमेरिकी देश वेनेजुएला के संकट के शांतिपूर्ण समाधान की ओर बढ़ने के पक्षधर हैं। उन्होंने यह भी कहा कि संयुक्त राष्ट्र और अंतरराष्ट्रीय समुदाय को इस मुद्दे पर ध्यान देने की जरूरत है, ताकि यह मामला पूरी दुनिया के लिए शांति की मिसाल बन सके। लूला का यह बयान अमेरिका के सैन्य हस्तक्षेप के खिलाफ एक मजबूत राजनीतिक संदेश के रूप में देखा जा रहा है।