New Delhi: भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के चलते सिंधु जल संधि रद्द होने का असर अब पाकिस्तान के सिंधु डेल्टा क्षेत्र में साफ दिखने लगा है। भारत की ओर से सिंधु नदी पर बांध बनाने और संधि को बहाल न करने के फैसले से पाकिस्तान की कृषि और मत्स्य पालन व्यवस्था बुरी तरह चरमरा गई है। स्थिति इतनी खराब हो चुकी है कि सिंधु डेल्टा के तटीय इलाकों से 12 लाख से अधिक लोग पलायन को मजबूर हो चुके हैं।
सिंधु नदी, जो तिब्बत से निकलकर कश्मीर होते हुए पाकिस्तान में बहती है, वहां की 80% कृषि भूमि की सिंचाई करती है और करोड़ों लोगों की आजीविका का प्रमुख साधन है। मगर अब इस नदी का पानी अरब सागर तक पहुंचते-पहुंचते इतना कम हो गया है कि सिंधु डेल्टा क्षेत्र में समुद्री जल का खारा पानी भीतर तक प्रवेश कर गया है।
80% कम हो गया पानी का बहाव
यूएस-पाकिस्तान सेंटर फॉर एडवांस्ड स्टडीज इन वाटर की 2018 की स्टडी के अनुसार, सिंचाई नहरों, जलविद्युत परियोजनाओं और जलवायु परिवर्तन की वजह से सिंधु डेल्टा में पानी का बहाव 1950 के दशक से 80 प्रतिशत तक घट चुका है। इसका सीधा असर मछली, झींगा और केकड़े जैसे जलीय जीवों की आबादी पर पड़ा है। खारे पानी के कारण खेती भी असंभव हो गई है।
गांव हो रहे खाली, संस्कृति मिट रही
सिंधु डेल्टा के खारो चान कस्बे के हबीबुल्लाह खट्टी बताते हैं कि उनके गांव के आसपास अब सिर्फ खारा पानी है। मछली पकड़ने का काम छिन गया, सिलाई का काम शुरू किया लेकिन अब गांव में लोग ही नहीं बचे। 150 घरों वाले गांव में अब सिर्फ चार घर बचे हैं। शाम को पूरे इलाके में सन्नाटा छा जाता है, और खाली घरों में अब आवारा कुत्ते घूमते हैं।
पाकिस्तान फिशरफोक फोरम और जिन्ना इंस्टीट्यूट की रिपोर्ट के अनुसार, सिंधु डेल्टा के तटीय जिलों से लाखों लोग विस्थापित हो चुके हैं। केवल खारो चान कस्बे की जनसंख्या 1981 में 26,000 थी जो अब घटकर केवल 11,000 रह गई है। यह विस्थापन केवल जीवन ही नहीं, बल्कि एक पूरी सांस्कृतिक पहचान का भी नुकसान है।
भारत का फैसला बना वजह
भारत ने हाल ही में पहलगाम आतंकी हमले के बाद 1960 की सिंधु जल संधि को रद्द करने का ऐलान किया। भारत ने साफ कर दिया है कि वह अब इस संधि को बहाल नहीं करेगा और नदी पर बांध बनाकर पाकिस्तान की ओर जाने वाले पानी को रोकेगा। पाकिस्तान ने इसे ‘युद्ध की कार्रवाई’ कहा है, लेकिन भारत का रुख अब तक नहीं बदला है।
पुनर्स्थापना की कोशिशें भी जारी
हालांकि सिंधु डेल्टा को पुनर्जीवित करने के लिए पाकिस्तान सरकार और संयुक्त राष्ट्र ने 2021 में ‘लिविंग इंडस इनिशिएटिव’ की शुरुआत की है। इसके तहत मिट्टी की लवणता को कम करने और कृषि-इकोसिस्टम की रक्षा के प्रयास हो रहे हैं। सिंध सरकार ने मैंग्रोव पुनर्स्थापना परियोजना भी शुरू की है, ताकि खारे पानी के प्रवेश को रोका जा सके।
जलवायु कार्यकर्ता फातिमा मजीद कहती हैं कि “हमने सिर्फ अपनी जमीन नहीं खोई, हमने अपनी संस्कृति और जीवनशैली भी खो दी।” मौजूदा हालात में जब तक पानी का प्रवाह फिर से नहीं बढ़ता, तब तक सिंधु डेल्टा और वहां रहने वाले लोग संकट से बाहर नहीं आ सकते।