Site icon Hindi Dynamite News

कैशलेस इलाज से निजी अस्पतालों का इनकार! सरकार ने उठाया सख्त कदम

 उत्तराखंड में राज्य कर्मचारियों और पेंशनरों को राहत देने वाली राज्य सरकार स्वास्थ्य योजना इन दिनों गंभीर संकट से जूझ रही है। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट
कैशलेस इलाज से निजी अस्पतालों का इनकार! सरकार ने उठाया सख्त कदम

देहरादून:  उत्तराखंड में राज्य कर्मचारियों (State employees) और पेंशनरों को राहत देने वाली राज्य सरकार स्वास्थ्य योजना (SGHS) इन दिनों गंभीर संकट से जूझ रही है। SGHS के तहत सूचीबद्ध कई प्रमुख निजी अस्पतालों ने मरीजों को कैशलेस इलाज देने से इनकार कर दिया है, जिससे हजारों लाभार्थियों की चिंता बढ़ गई है। इस पर स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने कड़ा रुख अपनाते हुए राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण (SHA) को सख्त निर्देश जारी किए हैं।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के मुताबिक,  बुधवार को SGHS की समीक्षा बैठक में मंत्री ने कहा कि यह योजना राज्य के चार लाख से अधिक कर्मचारियों, पेंशनरों और उनके आश्रितों के लिए जीवन रेखा के समान है। उन्होंने स्पष्ट किया कि योजना के संचालन में किसी भी तरह की लापरवाही स्वीकार नहीं की जाएगी। मंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि SGHS को सुदृढ़ करने के लिए एक ठोस रणनीति तैयार की जाए और उसे आगामी कैबिनेट बैठक में रखा जाए।

बैठक में यह तथ्य सामने आया कि वित्तीय वर्ष 2024-25 (Financial Year 2024-25)  में SGHS के तहत केवल 150 करोड़ रुपये का अंशदान एकत्र हुआ, जबकि मरीजों के इलाज पर 335 करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं। इस बजट असंतुलन के कारण SHA निजी अस्पतालों को 130 करोड़ रुपये का भुगतान नहीं कर पाया है।

परिणामस्वरूप, हिमालयन अस्पताल जॉलीग्रांट, कैलाश अस्पताल, कनिष्क अस्पताल, ग्राफिक एरा मेडिकल कॉलेज और मेदांता गुरुग्राम जैसे नामचीन अस्पतालों ने SGHS लाभार्थियों का कैशलेस इलाज रोक दिया है।

गौरतलब है कि SGHS के अंतर्गत गोल्डन कार्ड जारी किए गए हैं, जिनसे लाभार्थियों को सूचीबद्ध अस्पतालों में मुफ्त इलाज की सुविधा मिलती है। कर्मचारियों और पेंशनरों के वेतन-पेंशन (Salary-Pension) से नियमित अंशदान लिया जाता है, जिससे यह योजना संचालित होती है।

बैठक में स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ. सुनीता टम्टा, (Director General  Health Dr. Sunita Tamta), SHA के वित्त निदेशक अभिषेक आनंद, प्रशासनिक निदेशक डॉ. विनोद टोलिया सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे। मंत्री रावत ने सभी अधिकारियों को निर्देशित किया कि अस्पतालों से संवाद कर लंबित भुगतान की शीघ्रता से व्यवस्था की जाए ताकि लाभार्थियों को इलाज में किसी भी प्रकार की बाधा का सामना न करना पड़े।

सरकार की इस सख्ती से उम्मीद की जा रही है कि जल्द ही निजी अस्पतालों में कैशलेस इलाज की सुविधा फिर से बहाल होगी और SGHS लाभार्थियों को राहत मिलेगी।

Exit mobile version