Chaitra Navratri: नवरात्रि के चौथे दिन ऐसे करें माता कूष्मांडा की पूजा, इस विधि से मिलेगा व्रत का पूरा लाभ

देशभर में नवरात्रि का पावन पर्व मनाया जा रहा है। नवरात्रि के दौरान मां के नौ रुपों की विधि–विधान से पूजा की जाती है। नवरात्रि के चौथे दिन मां के चौथे स्वरुप माता कूष्मांडा की पूजा की जाती है।

Post Published By: डीएन ब्यूरो
Updated : 5 April 2022, 10:52 AM IST

नई दिल्ली: देशभर में नवरात्रि का पावन पर्व मनाया जा रहा है। नवरात्रि के दौरान मां के नौ रुपों की विधि–विधान से पूजा की जाती है। नवरात्रि के चौथे दिन मां के चौथे स्वरुप माता कूष्मांडा की पूजा की जाती है। धार्मिक मान्यतओं के अनुसार मां कूष्मांडा ने ही ब्रहांड की रचना की थी। इन्हें सृष्टि की आदि-स्वरुप, आदिशक्ति माना जाता है। मां कूष्मांडा सूर्यमंडल के भीतर के लोक में निवास करती हैं। मां के शरीर की कांति भी सूर्य के समान ही है और इनका तेज और प्रकाश से सभी दिशाएं प्रकाशित हो रही हैं। मां कूष्मांडा की आठ भुजाएं हैं। मां को अष्टभुजा देवी के नाम से भी जाना जाता है। इनके सात हाथों में कमंडल, धनुष, बाण, कमल का फूल, अमृतपूर्ण कलश, चक्र और गदा है। वहीं आठवें हाथ में जपमाला है। मां सिंह की सवारी करती हैं।
 

जानें पूजा की सही विधि 

सबसे पहले स्नान आदि पुरा कर ले इसके बाद मां का ध्यान कर उनको धूप, गंध, अक्षत्, लाल पुष्प, सफेद कुम्हड़, फल, सूखे मेवे आदि का भोग लगाएं ऐसा करने से साधकों को सभी सिध्दियां मिलती हैं मां की कृपा से लोग नीरोग होते है पुजा में हरे कपड़े पहनकर बैठना चाहिए। पूजन के दौरन मां को हरी इलाइची, सौंफ, कद्दू अर्पित करें। इसके बाद  उनके मुख्य मंत्र का जाप करें।

मां कूष्माण्डा पुजा के लाभ 

मां कूष्माण्डा का निवास के तेज से चारों दिशाएं दैदीप्यमान है इसीलिए इनके शरीर की कांति और प्रभा सूर्य की भांति ही दैदीप्यमान हैं। ब्रह्मांड की सभी वस्तुओं और प्राणियों में इन्हीं का तेज व्याप्त है। नवरात्रि में मां कूष्माण्डा की साधन-आराधन करने पर माता अपने साधक के असाध्य रोगों से मुक्ति और अच्छी सेहत का आर्शीर्वाद प्रदान करती हैं।

Published : 
  • 5 April 2022, 10:52 AM IST

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