नयी दिल्ली: ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के नेता असदुद्दीन ओवैसी ने आपराधिक कानूनों की जगह सरकार द्वारा लाए गए तीन विधेयकों का विरोध करते हुए बुधवार को लोकसभा में आरोप लगाया कि ये तीनों प्रस्तावित कानून ‘‘सरकार के अपराधों को कानूनी शक्ल देने के लिए बनाए जा रहे हैं’’।
उन्होंने भारतीय न्याय (द्वितीय) संहिता 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा (द्वितीय) संहिता 2023 और भारतीय साक्ष्य (द्वितीय) विधेयक 2023 पर चर्चा में भाग लेते हुए यह आरोप भी लगाया कि ‘जन के लिए अविश्वास’ और ‘धंधे के लिए विश्वास’ इस सरकार का नया मंत्र है।
ये तीनों विधेयक भारतीय दंड संहिता, दंड प्रक्रिया संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह लेने के लिए लाए गए हैं।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार ओवैसी ने कहा, ‘‘ये तीनों (प्रस्तावित) कानून खुद आपराधिक हैं। ये जुर्म की रोकथाम से ज्यादा सरकार के अपराधों को कानूनी शक्ल देने के लिए बनाए जा रहे हैं। ’’
हैदराबाद से लोकसभा सदस्य ने कहा, ‘‘आज सच्चाई यह है कि सूट पहनने वाला जेल से बचा जाता है, खाकी पहनने वाला किसी को गोली मार सकता है, उसकी कोई जवाबदेही तय नहीं होती।’’
उन्होंने किसी का नाम लिए बगैर कहा कि इस सभा में जिन पर आतंकवाद का आरोप है वो इस कानून पर विचार करेंगे कि आतंकवाद क्या है।
ओवैसी का कहना था कि अगर भगत सिंह और महात्मा गांधी होते तो इन तीनों प्रस्ताविक कानूनों को ‘रोलेट ऐक्ट’ करार देते।
उन्होंने कहा, ‘‘अगर सुधार करना था तो हमें उन प्रावधानों को निकालना था जो हुकूमत और पुलिस को मनमानी करने की इजाजत देते हैं।’’
लोकसभा सदस्य ने दावा किया कि देश के कारावासों में बंद लोगों में सबसे ज्यादा मुस्लिम, दलित और आदिवासी समुदाय के लोग हैं।
उन्होंने विधेयक के एक प्रावधान का उल्लेख करते हुए कहा कि पुलिस कैसे किसी को आतंकवादी घोषित कर सकती है क्योंकि यह काम तो अदालत का है।