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पर्यावरण के अनुरूप टिकाऊ गतिशील पारिस्थितिकी तंत्र विकसित करना समय की मांग है

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने एक ऐसा गतिशील पारिस्थितिकी तंत्र विकसित करने की आवश्यकता पर मंगलवार को जोर दिया जो टिकाऊ तथा पर्यावरण के अनुरूप हो। साथ ही उन्होंने भारतीय ऑटोमोबाइल उद्योग से ‘अमृत काल’ के लक्ष्यों को हासिल करने के वास्ते एक मार्ग प्रशस्त करने को भी कहा। पढ़ें पूरी रिपोर्ट डाइनामाइट न्यूज़ पर
Post Published By: डीएन ब्यूरो
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पर्यावरण के अनुरूप टिकाऊ गतिशील पारिस्थितिकी तंत्र विकसित करना समय की मांग है

नयी दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने एक ऐसा गतिशील पारिस्थितिकी तंत्र विकसित करने की आवश्यकता पर मंगलवार को जोर दिया जो टिकाऊ तथा पर्यावरण के अनुरूप हो। साथ ही उन्होंने भारतीय ऑटोमोबाइल उद्योग से ‘अमृत काल’ के लक्ष्यों को हासिल करने के वास्ते एक मार्ग प्रशस्त करने को भी कहा।

वाहन विनिर्माताओं के संगठन सोसायटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स (सियाम) के वार्षिक सम्मेलन में अपने संदेश में मोदी ने देश की वृद्धि में ऑटो उद्योग की भूमिका को स्वीकार किया।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संदेश में कहा, ‘‘आज के भारत में, गतिशीलता अपने विभिन्न रूपों में वृद्धि की प्रमुख चालक है। जैसे-जैसे करोड़ों लोग गरीबी से बाहर निकलकर नव-मध्यम वर्ग में आते हैं, वहां सामाजिक तथा आर्थिक गतिशीलता आती है।’’

कार्यक्रम में मौजूद लोगों के समक्ष सियाम के अध्यक्ष विनोद अग्रवाल ने प्रधानमंत्री का संबोधन पढ़ा।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ‘‘जैसे ही वे अपनी आकांक्षाओं के माध्यम से देश की वृद्धि को आगे बढ़ाते हैं, वे हमारी अर्थव्यवस्था को दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था बनने की शक्ति देते हैं। इससे ही भारत 10वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था से पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है। जल्द ही हम शीर्ष तीन में पहुंचने के लिए तैयार हैं।’’

मोदी ने दोहराया कि ऑटोमोबाइल उद्योग मूल्य-निर्माण चक्र में उत्प्रेरक और लाभार्थी दोनों है। उन्होंने कहा कि उद्योग ने करोड़ों लोगों को रोजगार देकर आय वृद्धि में योगदान दिया है।

प्रधानमंत्री ने इथेनॉल, फ्लेक्स फ्यूल, सीएनजी, बायो-सीएनजी, हाइब्रिड इलेक्ट्रिक और हाइड्रोजन जैसी कई वैकल्पिक प्रौद्योगिकियों का हवाला देते हुए कार्बन उत्सर्जन तथा तेल आयात पर भारत की निर्भरता कम करने के लिए ठोस प्रयास जारी रखने और उन्हें अधिक बढ़ाने की जरूरत पर भी जोर दिया।

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