नेता तो माने लेकिन अधिकारी बाज आने को तैयार नहीं हैं..

मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद भी जिले के अधिकारियों में वीआईपी कल्चर के प्रति मोह देखने को मिला जबकि तत्काल प्रभाव से नीली बत्ती उतारने का निर्देश दिया गया है।

Post Published By: डीएन ब्यूरो
Updated : 22 April 2017, 4:29 PM IST

वाराणसी: देश में वीआईपी कल्चर पर प्रधानमंत्री के वार के बाद इसकी अलग-अलग तस्वीर सामने आ रही है। केंद्रीय कैबिनेट के फैसले को राज्य सरकार ने भी अपना लिया, पिछले दिनों राज्य सरकार के कई मंत्रियों ने अपने वाहनों से बत्तियां हटवा दीं। अफसर हों या बड़े नेता सब अपने वाहनों से लाल-नीली बत्ती उतार रहे हैं, मगर छोटों में इसके प्रति मोह बरकरार है। फिलहाल अफसर तो गाइडलाइन का इंतजार कर रहे जबकि नेता रसूख की निशानी का साथ छोड़ने को खुद को तैयार नहीं कर पा रहे हैं।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के इस फैसले का असर भले ही राजधानी में रहा हो लेकिन शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र में इसका खास असर नहीं दिखा। लाल बत्ती से तो लोगों ने तौबा कर ली लेकिन नीली बत्ती का मोह नहीं छूट पा रहा। नायब तहसीलदार से लगायत मंडल व जिले के आला अफसरों की गाड़ियों पर नीली बत्तियां पूर्व की भांति लगी रहीं।

कलेक्ट्रेट, कमिश्नरी, विकास भवन, तहसील से लगायत तमाम सरकारी दफ्तरों में सुबह से देर शाम तक नीली बत्ती लगी सरकारी गाड़ियों का काफिला आता जाता रहा। कलेक्ट्रेट परिसर व तहसील भवन में अपने कार्यो से पहुंचे आमजन चर्चा करते रहे कि जिन्हें नियमों का पालन करना चाहिए, वे ही धज्जियां उड़ा रहे हैं।

वाराणसी हीं नहीं मंडल के अन्य जिलों के अफसर भी वीआइपी बोध का मोह नहीं छोड़ पा रहे हैं। शुक्रवार को मंडल के अधिकारियों संग कमिश्नर की बैठक थी। तमाम अधिकारी कमिश्नरी में मौजूद थे लेकिन बिन-बत्ती गाड़ी तलाशना मुश्किल हो रहा था।

वाराणसी में तैनात एक अधिकारी से जब मुख्यमंत्री द्वारा लाल बत्ती हटाने व नीली बत्तियों को लेकर जारी गाइडलाइन का हवाला देते हुए सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा कि अभी तो सिर्फ समाचार पत्रों औऱ चैनलों पर चल रहा है। प्रशासनिक कार्य लिखित आदेश पर चलते हैं। लिखित में आएगा तब नीली बत्ती उतार लेंगे।
 

Published : 
  • 22 April 2017, 4:29 PM IST

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