तीन तलाक और फतवे पर टिप्पणी, इलाहाबाद HC ने कहा संविधान से ऊपर कोई पर्सनल लॉ नहीं

मुस्लिम में तीन तलाक और फतवे पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने महत्वपूर्ण टिप्पणी की है। हाईकोर्ट ने कहा कि कोई भी पर्सनल लॉ संविधान से ऊपर नहीं है।

Post Published By: डीएन ब्यूरो
Updated : 9 May 2017, 1:58 PM IST

इलाहाबाद: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मुस्लिम पति की तरफ से पत्नी को तीन तलाक दिए जाने के बाद दर्ज, दहेज उत्पीड़न के मुकदमे की सुनवाई करते हुए तीन तलाक और फतवे पर महत्वपूर्ण टिप्पणी की है। हाईकोर्ट ने सुनवाई में कहा कि कोई भी पर्सनल लॉ संविधान से ऊपर नहीं है।

साथ ही कोर्ट ने यह भी कहा कि फतवा न्याय व्यवस्था के विपरीत मान्य नहीं होना चाहिए। लिंग के आधार पर मूल और मानवाधिकारों का हनन नहीं किया जा सकता है। कोर्ट ने कहा कि मुस्लिम पति ऐसे तरीके से तलाक नहीं दे सकता जिससे समानता और जीवन के मूल अधिकार का हनन हो।

बता दें कि हाईकोर्ट ने तीन तलाक से पीड़ित वाराणसी की सुमालिया की तरफ से पति अकील जमील के खिलाफ दर्ज, दहेज उत्पीड़न केस को रद्द करने से भी इनकार कर दिया। ये आदेश जस्टिस एसपी केसरवानी की सिंगल बेंच ने अकील जमील की पिटीशन को खारिज करते हुए दिया है। अकील जमील का कहना था कि उसने पत्नी सुमालिया को तलाक दे दिया है और दारुल इफ्ता जामा मस्जिद आगरा से फतवा भी ले लिया है। इस आधार पर उस पर दहेज उत्पीड़न का दर्ज मुकदना रद्द होना चाहिए।
 

Published : 
  • 9 May 2017, 1:58 PM IST

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